डाटा ग्रुप के चैयरमेन बाबूलाल डाटा का Exclusive Interview: सुनाई अपनी संघर्ष की गाथा…बेबाक बातचीत में खोले सफलता के राज

चौक टीम, अलवर। Data Group celebrated its Founder’s Day डाटा ग्रुप ने मनाया फाउंडर्स-डे। इस उपलक्ष पर ग्रुप ने प्रतिष्ठित डाटा रत्न पुरस्कार समारोह का आयोजन किया, जिसमें संगठन के विकास व सफलता में इसके सदस्यों के उत्कृष्ट योगदान को मान्यता दी गई। इस दौरान ग्रुप के साथ 25 साल की यात्रा पूरी करने वाले करीब 33 सदस्यों को डाटा ग्रुप के चेयरमैन बाबूलाल डाटा के हाथों डाटा रत्न प्रदान किया गया। इस दौरान राजस्थान चौक के विशेष कार्यक्रम “किरदार- राज सफलता का” में बातचीत करते हुए चेयरमैन बाबूलाल डाटा ने कंपनी से जुड़े कई राज शेयर किए। यहां पढ़िए बातचीत के कुछ अंश-

सवाल: डाटा ग्रुप के शुरुआती दिनों का संघर्ष कैसा रहा?
जवाब: डाटा ग्रुप के चैयरमेन बाबूलाल डाटा ने बताया कि शुरुआती दिनों का संघर्ष बहुत ही कठिन रहा, अलवर जिले के खैरथल में शुरू की गई तेल मिल में शुरुआती नो महीनो में तीन लाख का नुकसान था। कड़ी मेहनत और बाजार के आधार पर अगले तीन महीनों में हमने नो लाख का नुकसान कवर करके तीन लाख का लाभ अर्जित किया।

सवाल: राजस्थान को ही कर्मस्थली चुनने की वजह?
जवाब: चैयरमेन बाबूलाल डाटा ने बताया कि राजस्थान में ही हमारा जन्म हुआ, भारत में सबसे ज्यादा सरसों का उत्पादन राजस्थान में ही होता है। जानकारी दी कि अलवर में पांच-छ: जिलों में सबसे ज्यादा सरसो का उत्पादन होता है। तेल मिल का काम हमारा पुस्तैनी काम है इसलिए इस व्यापर में हमने कदम रखा।

सवाल: कंपनी की नीव के पिलर किसे मानते है?
जवाब:
बाबूलाल डाटा ने जवाब देते हुए कहा कि हमारे ताऊ जी श्री गंगादीन जी जिनका स्वर्गवास सन 1978 में हो गया था। 1973 में उनका स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण मैंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करते ही हमारे चाचा जी श्री निरंजन लाल जी के साथ दुकान का कार्य सम्भाल लिया था। 1973 से मैंने और चाची जी ने मिलकर कड़ी महनत की और सन 1980 में श्री विजय जी भी ग्रेजुएशन के बाद हमारे साथ काम सम्भालने लग गए थे।

सवाल: कारोबार में कभी लगा की उद्यमिता की राहे कठिन हैं?
जवाब:
बाबूलाल डाटा ने जवाब देते हुए कहा कि, नहीं ऐसा कभी नहीं लगा। वैसे तो हर व्यापार में कठिनाइयाँ आती है। हमे सरकार से भी कई बार संघर्ष करना पड़ा। परन्तु कड़ी मेहनत से हर स्तर पर सफलता मिली।

सवाल: अक्षर कहा जाता है की “पूत कपूत तो क्यो धन संचय, पूत सपूत तो क्यो धन संचय” आपकी सोच क्या है?
जवाब:
उन्होंने जवाब दिया कि ये कहावत हमारे बुजुर्ग कहा करते थे। ये सत्य है, लेकिन उसके बावजूद आम आदमी ये कहते हैं कि आवश्कताएं काम रखनी चाहिए। ज्यादा कमाओगे वो यंही छोड़ जाओगे, वो दुसरो के काम आएगा। इसके बावजूद 99% लोग पैसा कमाने में मन लगाते है, काम करने में मन लगाते है महनत करने में लगाते हैं। तो इस कहावत के बाद भी आदमी काम पर लगा है।

सवाल: व्यवसाय में साथी महत्वपूर्ण किरदार निभाते है, आपके कौनसे साथी रहे जो आज की सफलता की नींव के पत्थर हैं?
जवाब:
बाबूलाल डाटा ने जवाब दिया कि बिना साथियों के अकेला आदमी कुछ भी नहीं कर सकता। उन लोगों का सहयोग है जिन्होंने हर क्षेत्र में हमारे साथ कड़ी मेहनत की। ऐसे 15-20 साथी हैं जिनकी बदौलत आज हम यहाँ तक पहुंचे है, आगे बढ़े हैं।

सवाल: दशकों की यात्रा में कारोबारी बदलाव को कैसे देखते हैं?
जवाब:
उन्होंने जवाब दिया कि समय-समय पर बदलाव तो हर उद्योग में, व्यापार में, रहन सहन में, जीवन में होता रहा है, लेकिन व्यापार में जो बदलाव हुवा जो उस बदलाव के साथ नहीं बदला वो पीछे रह गया। हम अपने आपको उस बदलाव के साथ डालते रहे जिससे हमारी प्रगति लगातार होती रही।

सवाल: युवा आज नौकरी नहीं स्वरोजगार के सपने देख रहा है, क्या सुझाव देंगे?
जवाब:
उन्होंने कहा कि, मेरा ऐसा मानना है कि हमारे देश में रोजगार की कोई कमी नहीं है। मोदी जी ने भी स्वरोजगार पर जोर दिया है। जैसा मैं देखता हूँ, अलवर जिले में कोई भी बेरोजगार नहीं है। बेरोजगार वही है जो काम नहीं करना चाहता। जिसमें काम करने की इच्छा है उसके लिए देश में रोगजार की कमी नहीं है।

सवाल: निवेश का सही समय आपके हिसाब से क्या है?
जवाब:
बाबूलाल डाटा ने कि, अब तक के देश के पिछले 50 साल से जो हालात के हिसाब से लोगों ने तीन चीजों में सबसे ज्यादा पैसा कमाया है- जमीन, सोना-चांदी और शेयर बाजार। ये तीनों चीजें जिसके पास पुराने समय से हैं वही आज करोड़पति-अरबपति हैं। सिर्फ कमाने से एक भी आदमी किसी भी देश में करोड़पति-अरबपति नहीं बना है।

सवाल: डाटा ग्रुप की सफलता का राज क्या है ?
जवाब:
बाबूलाल डाटा ने सफलता के राज बताते हुए कहा कि, कड़ी महनत, ईमानदारी और अच्छे कर्मचारी..जो हमारे साथ तन-मन-धन से लगे हैं। यही हमारी सफलता का राज है।

सवाल: आज आप अपने आपको संतुष्ट पाते हैं या अभी भी कोई पहल ऐसी है जो पूरी होनी शेष है?
जवाब:
उन्होंने कहा कि, मैं पहले भी संतुष्ट था, अब भी संतुष्ट हूं। दुनिया 1000 रोज खर्च करती है 5000 खर्च करती है तब भी संतुष्ट नहीं है। मेरा सभी से ये कहना है कि अगर में 200 रुपए रोज कमाऊं तो मैं उसमे भी संतुष्ट हूं। आदमी मन से संतुष्ट होता है अगर मन संतुष्ट नहीं है तो किसी भी कीमत पर संतुष्टि नहीं मिलेगी।

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