Homeमुख्य समाचारदुनियाक्या नाम बदलने से बदल जाएगी देश की किस्मत ?

क्या नाम बदलने से बदल जाएगी देश की किस्मत ?

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क्या इंडिया अब भारत होगा जबकि भारत तो इंडिया ही है, हो गए न कंफ्यूज आज हम आपको इंडिया को भारत का नाम देने का अब नए टॉपिक पर चर्चा होना शुरू हो गयी है और इस बात में कितनी सच्चाई है और साथ ही इस पुरे मामले की शुरुवात कहा से हुई साथ ही क्या होगा अगर देश का नाम इंडिया से भारत रख दिया जाए तो। क्या इसमें बहुत ज्यादा पैसे का खर्चा भी आएगा। इंडिया मुद्दे पर मचे राजनीतिक घमासान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इंडोनेशिया जा रहे हैं।

इस नोट में ‘द प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिखा गया है

पीएम मोदी के इंडोनेशिया पहुंचने से पहले बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने उनकी इंडोनेशिया यात्रा की जानकारी देने वाला नोट सोशल मीडिया में शेयर किया है। इस नोट में ‘द प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिखा गया है यानि कि अब ये मामला देश के अंदर होने वाली बहस का ही नहीं रहा बल्कि सरकार ने ग्लोबल तौर पर भारत नाम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसके साथ ही बड़ी खबर ये भी है कि जी-20 समिट के दौरान सभी भारतीय डेलिगेट्स और नौकरशाहों के आईडेंटिडी कार्ड्स बदल दिए गए हैं। इन कार्ड्स पर इंडिया की जगह भारत लिख दिया गया है। G20 इवेंट के निमंत्रण पत्र के साथ-साथ आइडेंटिटी कार्ड्स पर भी Indian official की जगह Bharat Official यानी भारत के अधिकारी लिखा हुआ है।

द प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत श्री नरेन्द्र मोदी

सरकार ने इतनी तेज़ी से काम किया है कि विपक्ष हैरान हो गया है। आसियान देशों के शिखर सम्मेलन के नोट में साफ-साफ लिखा है द प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत श्री नरेन्द्र मोदी। ये नोट बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने शेयर किया है। वैसे ये पहला सरकारी दस्तावेज़ नहीं है जिसमें इंडिया की जगह भारत लिखा गया है। ऐसे दस्तावेज़ों के सामने आने का सिलसिला मंगलवार से शुरू हुआ जो अब जारी रहने वाला है। वही राष्ट्रपति की तरफ से जी-20 के मौके पर डिनर के न्योते में प्रेजिडेंट ऑफ भारत लिखा गया। जी-20 सम्मेलन में इंडिया के साथ-साथ भारत लिखा गया। पहचान पत्रों पर भारत लिखा गया। 25 अगस्त को मोदी अफ्रीका में थे वहां भी भारत लिखा गया। अब आसियान में शामिल हो रहे हैं तो वहां भी भारत लिखा गया है।

विपक्षी गठबंधन को बेचैन करने के साथ साथ कुछ सवाल भी खड़े कर दिए हैं

यानी अब जो कुछ भी सरकारी प्रेस में छप रहा है उस पर या तो केवल भारत लिखा है या फिर इंडिया के साथ भारत भी लिखा है। इन्हीं तस्वीरों ने विपक्षी गठबंधन को बेचैन करने के साथ साथ कुछ सवाल भी खड़े कर दिए हैं। बड़ा सवाल क्या संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार भारत करने का प्रस्ताव ला सकती है? क्या अनुच्छेद 368 में एक संवैधानिक संशोधन करके इंडिया का नाम भारत करने की तैयारी चल रही है। राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा शुरू हो चुकी है। खासतौर पर राष्ट्रपति भवन से जारी इन निमंत्रण पत्रों के सामने आने के बाद। इन्हीं तैयारियों ने विपक्ष को हैरान कर दिया है।

विपक्ष ने बीजेपी को घेरा

कांग्रेस इतनी आग बबूला है कि उसने विरोध की जल्दबाजी में ब्लंडर कर दिया। संविधान के डमी पेज पर लिखा इंडिया को हटाना नामुमकिन लेकिन इसमें स्पेलिंग मिस्टेक कर दी। कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से संविधान की प्रस्तावना लिखा जो डमी नोट जारी हुआ उसमें कई जगहों पर स्पेलिंग की मिस्टेक थी। कांग्रेस की इस गलती को बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शर्मनाक बताया तो कांग्रेस ने इसे टाइपिंग की गलती बताकर फौरन हटा दिया और उसकी जगह नया डमी नोट जारी कर दिया लेकिन तब तक सोशल मीडिया पर कांग्रेस की काफी किरकिरी हो चुकी थी। अब इस पुरे मुद्दे को सहमजने में हम सबके लिए देश के नाम के पीछे की ‘यात्रा’ को जानना-समझना बहुत जरूरी है.

देश का नाम प्राचीन काल से ही हमारे देश के अलग-अलग नाम रहे हैं

आइए जानें, कैसे पड़ा देश का नाम प्राचीन काल से ही हमारे देश के अलग-अलग नाम रहे हैं. प्राचीन ग्रंथों में देश के अलग-अलग नाम लिखे गए- जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष, आर्यावर्त तो वहीं अपने-अपने जमाने के इतिहासकारों ने हिंद, हिंदुस्तान, भारतवर्ष, इंडिया जैसे नाम दिए. लेकिन इनमें भारत सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा. विभ‍िन्न स्रोतों से पता चलता है कि विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र है कि ‘समुद्र के उत्तर से लेकर हिमालय के दक्षिण तक भारत की सीमाएं निहित हैं. विष्णु पुराण कहता है कि जब ऋषभदेव ने नग्न होकर गले में बांट बांधकर वन प्रस्थान किया तो अपने ज्येष्ठ पुत्र भरत को उत्तराधिकार दिया जिससे इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ गया. हम भारतीय आम बोलचाल में भी इस तथ्य को बार-बार दोहराते हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारा पूरा राष्ट्र बसता है. ये भारत का एक छोर से दूसरा छोर है

‘इंडिया, दैट इज भारत’

आइये अब जानते है की इंडिया नाम कैसे मिला? अंग्रेज जब हमारे देश में आए तो उन्होंने सिंधु घाटी को इंडस वैली कहा और उसी आधार पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया. यह इसलिए भी माना जाता है क्योंकि भारत या हिंदुस्तान कहने में मुश्किल लगता था और इंडिया कहना काफी आसान. तभी से भारत को इंडिया कहा जाने लगा. अब यह जानना भी ज़रूरी है की ‘इंडिया’ शब्द हटाने की मांग क्यों? .. तो आपको बता दे की भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ यानी ‘ इंडिया अर्थात भारत’ के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से सरकार ‘इंडिया’ शब्द को निकालकर सिर्फ ‘भारत’ शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है.

इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है

साल 2020 में भी इसी तरह की कवायद शुरू हुई थी. संविधान से ‘इंडिया’ शब्द हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है और इसीलिए उसकी जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए. अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा, लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा. हालांकि तब कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि हम ये नहीं कर सकते क्योंकि पहले ही संविधान में भारत नाम ही कहा गया है

खर्चा देश की टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल इन्कम पर निर्भर करता है

साथ ही आपको बताते है अगर नाम चेंज होता भी है तो कितना खर्चा आएगा तो आपको बता दे की ये उस देश की टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल इन्कम पर निर्भर करता है. नाम बदलना वैसा ही है, जैसे किसी बहुत बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप की रीब्रांडिंग करना. मान लीजिए, कोई मीडिया हाउस अपना नाम बदलना चाहे, तो कागजों में, बैंक में तो इसे बदला ही जाएगा, साथ ही बड़ा खर्च लोगो बदलने और लोगों के दिमाग में अपनी छवि की रीब्रांडिंग में लगेगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो कॉर्पोरेट हाउस की औसत मार्केटिंग कॉस्ट उसके कुल रेवेन्यू का 6 प्रतिशत होती है.

भारत का नाम बदलने में 14 हजार करोड़ के करीब खर्च हो सकते हैं

दूसरी ओर रीब्रांडिंग की कवायद उसके मार्केटिंग बजट का 10 प्रतिशत या उससे कुछ ज्यादा हो सकती है. बड़े कॉर्पोरेट पर इससे खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन छोटी कंपनियों के लिए ये नुकसान का सौदा है. यही बात कम और ज्यादा जीडीपी वाले देशों पर भी लागू होती है. ऑलिवियर मॉडल के हिसाब से जाएं तो भारत का नाम बदलने में 14 हजार करोड़ के करीब खर्च हो सकते हैं अब यह देखने वाली बात होगी की क्या सच में नाम को बदल दिया जाएगा अब इस पुरे मुद्दे पर आपका क्या कहना है हमे कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताए

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