महिला शादीशुदा है या नहीं, इसकी पहचान मांग में लगी सिंदूर से होता है. अगर महिला मांग में सिंदूर लगा रखा है तो इसका मतलब वह शादीशुदा है. महिलाएं इसे पति की लंबी उम्र से भी जोड़कर देखती हैं. वहीं, किन्नर की शादी नहीं होती फिर भी सिंदूर लगाती हैं. अब मन में सवाल उठ रहा होगा कि किन्नर किसके नाम का सिंदूर लगाती हैं.]
नाच-गाना आदि का आयोजन किया जाता है
तो आइये जानते हैं इसके पीछे का सच. हम सब ने देखा होगा कि किन्नर सज संवर कर मांग में सिंदूर लगाकर ही बाहर निकलती हैं. दरअसल, जब कोई किन्नर समाज को अपनाता है तो उस समय नाच-गाना आदि का आयोजन किया जाता है. आम लोगों की तरह ही किन्नर भी इस कार्यक्रम में वैवाहिक बंधुओं में बंधते हैं. यानी किन्नरों की शादी होती है.
किन्नरों की सिर्फ एक दिन की शादी होती है
यहां किन्नरों का विवाह किसी इंसान से नहीं बल्कि अपने भगवान अरावन से करते हैं. इस दौरान दुल्हन बने किन्नर सोलह श्रृंगार करते हैं और मांग में सिंदूर भी भरते हैं. किन्नर समाज इस मांगलिक कार्यक्रम को धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं. किन्नरों की सिर्फ एक दिन की शादी होती है. शादी के अगले दिन ही दूल्हे यानी अरावन देवता की मृत्यु हो जाती है. इसकी वजह से विवाहित किन्नर को विधवा मान लिया जाता है. इस पर शोक भी मनाया जाता है. हालांकि, इसके बाद किन्नर सिंदूर लगाते हैं. इसके पीछे का कारण यह है कि शादी के बाद वह जिस घराने में शामिल होते हैं, उस घराने के गुरु की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर लगाते हैं.