NCP का असली बॉस कौन, NCP चाचा की होगी या भतीजे की ?

राजनीती में इस वक्त भारी तनाव और चुनौतियां देखने को मिल रही है सियासी जंग छिड़ी हुई है। अगर बात महाराष्ट्र की राजनीती की की जाए तो लगातार लम्बे समय से विवादों में घिरी हुई है। आइये आपको सबसे पहले तो मुद्दा शमजते है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नाम और चुनाव चिह्न के दावों को लेकर शरद पवार और अजित पवार के गुट की ओर से डाली गई याचिका पर चुनाव आयोग आज शुक्रवार (06 अक्टूबर) को सुनवाई करने वाला है.

अजित ने एनसीपी पर अपना दावा भी ठोक दिया

इस पूरे विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब अजित पवार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए. इसके बाद अजित ने एनसीपी पर अपना दावा भी ठोक दिया। … महाराष्ट्र में एनसीपी का सियासी संग्राम अब चुनाव आयोग तक पहुंच गयी है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का असली बॉस कौन है? इसे लेकर चाचा और भतीजे आमने सामने गए हैं.

अजित पवार ने 30 जून को चुनाव आयोग को जानकारी दे दी थी

पहले अजित गुट ने पार्टी पर दावा ठोक दिया है. अजित पवार ने 30 जून को चुनाव आयोग को जानकारी दे दी थी कि एनसीपी की ओर से अध्यक्ष बदल दिया गया है और उन्हें अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वे ही असली एनसीपी हैं. इस मामले में चुनाव आयोग ने शरद पवार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. भतीजे की इस चाल के खिलाफ चाचा शरद पवार ने चुनाव आयोग का रुख किया.

शरद पवार गुट के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी

अब दोनों गुटों को चुनाव आयोग के सामने अपना-अपना पक्ष रखना है. इससे पहले निर्वाचन आयोग ने शरद पवार गुट के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था. अजित पवार गुट की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित किया जाना चाहिए और चुनाव चिह्न आदेश, 1968 के प्रावधानों के तहत पार्टी का प्रतीक चिह्न भी आवंटित कर देना चाहिए. इस मामले शरद पवार ने कहा कि एनसीपी की स्थापना किसने की और पार्टी किसकी है ये सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं.

चुनाव आयोग का जो भी फैसला होगा उसे स्वीकार किया जाएगा

इसके बाद भी पार्टी को हथियाने की कोशिश की जा रही है. फैसला चाहे जो भी हो लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैंने कई बार अलग-अलग चुनाव चिह्नों पर चुनाव लड़ा है और जीता भी है. वहीं, अजित पवार का कहना है कि चुनाव आयोग का जो भी फैसला होगा उसे स्वीकार किया जाएगा. आइये एक बार यह भी जान लेते है की यह पूरा घटनाक्रम कहा से और कैसे शुरू हुआ।

कुल 37 NCP विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया

नवंबर 2019 में बीजेपी के साथ सरकार बनाने की असफल कोशिश के बाद शरद पवार ने अजित पवार को पूरी तरह से किनारे कर दिया था. 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने शिवसेना (शिंदे ग्रुप) + बीजेपी सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली (कुल 37 NCP विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया). .. एनसीपी पर नियंत्रण की लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंच गई.

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सांसदों और विधायकों से उनके समर्थन में 40 हलफनामे मिले

5 जुलाई, 2023 को चुनाव आयोग को अजित पवार की ओर से पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करने वाली एक याचिका और उनके गुट के सांसदों और विधायकों से उनके समर्थन में 40 हलफनामे मिले (30 जून को चिट्ठी चुनाव आयोग को भेजी गई थी). … शरद पवार गुट ने कैविएट दाखिल कर पहले याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह किया था. आपको बता दें कि पिछले महीने अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर दी है. अजित पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए.

डिप्टी सीएम पद की शपथ ग्रहण की थी

उन्होंने 2 जुलाई को राज्य के बतौर डिप्टी सीएम पद की शपथ ग्रहण की थी. इस दौरान उनके साथ 8 अन्य एनसीपी नेता भी मंत्री बने. इसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग को हलफनामा के जरिये जानकारी दी कि वे ही असली एनसीपी हैं.

शरद गुट के जवाब के बाद EC अपना फैसला सुनाएगा

अजित गुट ने EC से 30 जून को कहा था कि एनसीपी के सदस्यों की ओर से हस्ताक्षर किए गए प्रस्ताव के जरिये उन्हें पार्टी का चीफ नियुक्त किया गया है और एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ही बने रहेंगे. चुनाव आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए शरद पवार गुट को नोटिस भेजा है. नोटिस के जरिये अजित गुट द्वारा पार्टी के असली अध्यक्ष होने वाले दावे पर जवाब मांगा है. आपको बता दें कि असली एनसीपी किसके पास रहेगा, इसका फैसला चुनाव आयोग का करना है. शरद गुट के जवाब के बाद EC अपना फैसला सुनाएगा.

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