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युवा पीढ़ी के लिए मिसाल बने विशाल , विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पाई सफलता

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पढ़ाई करने वाले हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वह यूपीएससी की परीक्षा पास करें. लेकिन यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करना कोई खेल नहीं है. कड़ी मेहनत. लगन और लक्ष्य को प्राप्त करने का जुनून इस परीक्षा को क्लियर करने का हौसला देता है. लेकिन जब परिस्थितियां विपरीत होती हैं. तो यह रास्ता और मुश्किल हो जाता है. और विपरीत परिस्थितियों में लक्ष्य हासिल करने वाला ही विशाल बनता है. शिखर पर पहुंचने की कहानी में हम आज बात करने जा रहे हैं बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में रहने वाले विशाल कुमार की. जिन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा 2021 को क्लियर किया. देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा में सफलता प्राप्त करके विशाल ने ना सिर्फ अपने पिता का सपना पूरा किया साथ ही उन लोगों के सामने भी एक आदर्श स्थापित किया जो कठिन परिस्थितियों का हवाला देकर अपने लक्ष्य का रास्ता छोड़ देते हैं.

पिता की मौत के बाद परिस्थितियां और हो गई थी विपरीत

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में रहने वाले विशाल बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. विशाल कुमार बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे रहे थे. पिता का सपना था कि विशाल एक बड़ा आदमी बने. और इसी सपने को पूरा करने के लिए मजदूरी करते हुए विशाल के पिता ने विशाल की पढ़ाई जारी रखी. लेकिन साल 2008 में विशाल के पिता की अचानक मौत हो गई. विशाल के पिता की मौत के बाद परिवार की आर्थिक हालत और भी दयनीय हो गई. लेकिन विशाल के पिता के जाने के बाद उनकी मां ने इस जिम्मेदारी को निभाने का बीड़ा उठाया. विशाल की मां ने बकरी और भैंस पालन करके अपने परिवार का भरण पोषण किया तो विशाल की पढ़ाई भी जारी रखें.

पहले ही प्रयास में 484वीं रैंक की हासिल

मुजफ्फर जिले में रहने वाले विशाल ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा 2021 में पहली बार परीक्षा दी थी. और पहले ही प्रयास में विशाल कुमार ने 484 वी रैंक हासिल की.

अपने परिवार और शिक्षक को दिया सफलता का श्रेय

पहले ही प्रयास में सफलता करने के बाद विशाल कुमार ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और उनके शिक्षक गौरी शंकर प्रसाद को दिया. विशाल कुमार ने बताया कि उनके शिक्षक गौरी शंकर शर्मा ने मुश्किल हालात में उनकी बहुत मदद की. यहां तक कि शिक्षक द्वारा ही उनकी पढ़ाई का खर्चा उठाया गया. जब पैसों की तंगी बहुत ज्यादा हुई तो उन्होंने ही विशाल को अपने घर में रखा. पैसों की तंगी के चलते विशाल कुमार ने नौकरी करना शुरू किया. लेकिन शिक्षक गौरी शंकर प्रसाद द्वारा ही विशाल को यूपीएससी तैयारी करने के लिए प्रेरित किया था.

पिता का सपना था बेटा बड़ा आदमी बने

विशाल के पिता एक मजदूर थे. बेटा पढ़ाई में काफी अच्छा था इसलिए संघर्ष के जीवन के बीच भी बेटे की पढ़ाई को जारी रखा. विशाल के पिता का सपना था कि उनका बेटा एक बड़ा आदमी बने. साल 2008 में पिता की तो मौत हो गई. लेकिन विशाल अपने पिता के सपनों को कभी नहीं भूले. 2011 में मैट्रिक परीक्षा में विशाल ने टॉप किया. उसके बाद 2013 में आईआईटी कानपुर में प्रवेश लिया. जहां से पास होने के बाद विशाल ने एक प्राइवेट कंपनी में जॉब की. लेकिन बड़ा आदमी बनने का सपना उनकी आंखों में साफ झलकता था. आखिरकार 2021 में विशाल ने यूपीएससी की परीक्षा को क्लियर करते हुए अपने पिता का सपना पूरा किया.

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