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वसुंधरा राजे के ‘पीतल-सर्राफा’ के बाद आया एक ओर बयान; वसुंधरा राजे की जिद के आगे झुक गई पार्टी!

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने हालिया बयानों के कारण लगातार सुर्खियों में हैं। बुधवार को झालावाड़ में बीजेपी की सदस्यता लेते हुए उन्होंने अपने विरोधियों पर इशारों में जमकर निशाना साधा। राजे ने जयपुर में सदस्यता लेने के निर्देश को ठुकराकर झालावाड़ में ही सदस्यता ली। राजे ने कहा, “यदि धैर्य रखा जाए तो मंजिल जरूर मिलती है। हमारे कार्यकर्ताओं के धैर्य और मेहनत की बदौलत आज बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है।”

संगठन सर्वोपरि है

उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं के धैर्य की सराहना करते हुए कहा, “हमारे कार्यकर्ताओं ने हमेशा संगठन को सर्वोपरि रखा है। उनके लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि संगठन के लिए जीना और काम करना सबसे अहम है। यही धैर्य और समर्पण हमें इस मुकाम तक लेकर आया है।”

जयपुर की बजाय झालावाड़ में सदस्यता ग्रहण

वसुंधरा राजे ने खुलासा किया कि उन्हें जयपुर में सदस्यता ग्रहण करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने अपने घर झालावाड़ में ही सदस्यता लेने का निर्णय किया। उनका यह कदम राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक जुड़ाव को दर्शाता है।

विरोधियों पर कटाक्ष

राजे ने मंगलवार को बिड़ला सभागार में सिक्किम के नवनियुक्त राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर के अभिनंदन कार्यक्रम के दौरान बिना नाम लिए अपने विरोधियों पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग पीतल की लौंग पाकर खुद को सर्राफ समझने लगते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, लेकिन पांव हमेशा जमीन पर होने चाहिए।” यह बयान विरोधियों की ओर एक सीधा कटाक्ष माना जा रहा है, जिन्होंने हाल के दिनों में वसुंधरा राजे के राजनीतिक प्रभाव को चुनौती दी है।

धैर्य का महत्व

अपने संबोधन के दौरान राजे ने धैर्य पर जोर दिया और कहा, “हमारे कार्यकर्ताओं ने धैर्य रखा तो आज बीजेपी इस मुकाम पर पहुंची है। धैर्य वह गुण है जो किसी भी संघर्ष और मुश्किल हालात में आपको मंजिल तक पहुंचाता है।”

बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए संदेश

राजे ने यह भी कहा कि बीजेपी का यह सफर 1951 में जनसंघ के रूप में शुरू हुआ था, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। “यह हमारे कार्यकर्ताओं की मेहनत और समर्पण का परिणाम है।” राजे ने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि संगठन के लिए काम करते रहें और धैर्य बनाए रखें। “हमारे कार्यकर्ताओं के लिए पद नहीं, संगठन सर्वोपरि है।”

भविष्य की राजनीति पर क्या संकेत?

वसुंधरा राजे के इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वे अब भी राजस्थान की राजनीति में एक मजबूत खिलाड़ी हैं। उनके बयानों को उनके विरोधियों के खिलाफ एक सीधा संदेश माना जा रहा है, जो हाल के दिनों में उनके नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। वसुंधरा राजे की इस सक्रियता से यह संकेत मिलता है कि वे अपने राजनीतिक करियर को नई दिशा देने और बीजेपी में अपनी भूमिका को और भी सशक्त बनाने की तैयारी में हैं।