अंकित तिवारी, जयपुर। राजस्थान में इस सप्ताह बहुत कुछ घटा जो चर्चा में रहा। आईएएस लिस्ट दरवाजे पर आकर ठहर गई, दिल्ली चुनावों में वयस्त हो गई साथ ही बंगला नंबर 13 की मुलाकात भी गुप्त सुत्रों की भेंट चढ़ गई। अनकही में जानिए सत्ता, सीएमओ और सचिवालय के गलियारों की चर्चा, अनकही by Ankit Tiwari में।
बंगला नंबर 13 की बैठकी
सिविल लाइंस के यूं तो सब बंगले खास है, हर एक में मोर अपनी मौजूदगी लिए है। लेकिन बंगला नंबर आठ से बंगला नंबर 13 की दूरी तय होते ही सबके कान खड़े हो गए। किसी ने कहा दिल्ली से मैसेज था जाने का, कोई बोला मंडल अध्यक्ष का रोड़ा था, किसी ने कहा मंत्रियों के नाम सामने आने है। सब सूत्रों की भेंट चढ़ गए। इससे आगे बढ़कर कई लोगों ने हावभाव का अंदाजा लगाया कि दिल्ली आने वाले दिनों में वनवास खत्म करने वाली है, ताकि मरूधरा में कोई पेंच ना बचे। वैसे भी सोलर की पॉवर का करंट गहरे निशान दे रहा है। अब इंतजार किसी निर्णय का है।
जिलों में भी चली पर्ची
मंडल अध्यक्षों ने कब जिलाध्यक्ष चुन लिए यह किसी को पता नहीं लग पाया। खबर लिखे जाने तक 21 साबित हो चुके है शेष कतार में है। मरुस्थल के जिलों में यह चर्चा चली कि पर्ची मुख्यालय से आ रही है, चयन पहले से तय है। ऐसे में सब अपने जोड़ भाग, संपर्क सूत्रों को हवा देने लगे कि जब नाम पर्ची से ही आ रहे है तो उनका आ जाए। लेकिन इस बार दिल्ली ही सख्त है सबके चयन के मानदंड तय कर दिए है, कोई इधर से उणर करता है तो उसकी जन्मकुंडली सामने रख दी जाती है। ऐसे में पर्ची से बने जिलाध्यक्ष अब जल्द पार्टी का मुखिया चुनने वाले है।
मंत्री नाराज या IAS की ठसक
राजस्थान में कुछ मंत्री अफसरों की धौंस से नाराज है। अफसरों को समझ में आया हुआ है कि राज कैसे चल रहा है, ऐसे में भाव उसी को देते है जिसकी चल रही है। अब कई काम अटक गए। कुछ मंत्री अपने चाल चलन और व्यवहार और काम की रफ्तार को तबादला सूची में उतारना चाहते थे, अफसर उन पर कुंडली मार कर बैठ गए। जहां शिकायत करनी चाहिए थी वहां हुई। उधर से मैसेज आया कि कोई काम करने वाले का नाम रुका हो तो बताओ। तब से सन्नाटा है।
जुगाड़ में ब्यूरोक्रेट्स
ब्यूरोक्रेट्स अच्छे से जानते है इस बार वाली तबादला सूची कई दिन एक कुर्सी पर टिकाएं रखेगी। ऐसे में सभी जुगाड़ लगा रहे है मनचाही पोस्टिंग मिल जाए। कोई पॉवर से निर्माण में जाना चाह रहा है, कोई वित्त में। किसी कि निगाह में राइजिंग है तो कोई शांत जगह तलाश रहा है। पति पत्नी के जोड़े भी सुख शांति से नौकरी करने की आस में है। ऐसे में सूची बन और बदल रही है। साहेब भी देख रहे है कि पीपीटी वालों को ले या जिनकी जुबां से ही काम हो जाए उनको।
जेडीए में क्यों पीठ थपथपाई
बड़े बाबूओं के मुखिया अचानक सक्रिय हुए। शहर के विकास से जुड़े दफ्तर में जाकर बोले यहां की नौकर शाह जैसा कोई नहीं, सब सुधार दिया। अब यह सर्टिफिकेट 26 जनवरी को देते तो समझ में आता, ब्यूरोक्रेट्स की तबादला लिस्ट से पहले क्यों दिया यह सब पैमाइश के दायरे में आ गया। मामला जमीन से जुड़ा हुआ है ऐसे में कारसेवा भी धरातल पर आ गई। कुछ समझदार बाबू यह कारण तलाश रहे है कि इनकी पोसटिंग को जुम्मा जुम्मा तीन दिन हुए है तो इनको हटाने वाले कौन सक्रिय है।
विधानसभा में किस किस की खिंचाई
विपक्ष ने इस बार उन मंत्रियों की सूची बना ली है जिनकी नींद विधनसभा में हराम करनी है। एक सूची विधानसभा सचिवालय ने भी उन अफसरों की बनाई है जो सवालों को गंभीरता से नहीं ले रहे है। सत्ता पक्ष भी उन लोगों को ताकिद करने के मूड में है जो सुस्ती बरत रहे है। ऐसे में किस किस सूची पर सत्र में काम होगा यह देखने वाली बात होगी।