आरएसएस की रणनीति: सिर्फ जीतना ही नहीं बल्कि 100 फीसदी मतदान करने का रखा लक्ष्य।

राजस्थान में वोटिग के लिए अब अतिंम चरण आ गया है। इस बार राजस्थान में भाजपा- कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होगी। पिछली बार की तरह इस बार मोदी लहर ना होने की वजह से लोगों में कांग्रेस और भाजपा का बराबर का क्रेज देखने को मिल रहा है। इस बात के चलते दोनो ही पार्टीज में जीतने का मार्जिन बराबर है। आपको बता दें कि संघ ने चुनाव को लेकर चार चरण तय किए है जिनमें से तीन चरण पूरे हो गए है।

सूत्रो से पता चला है कि पूरे प्रदेशभर में पदाधिकारियों को सीटों का वितरण, प्रांत और विभाग स्तर के पदाधिकारियों ने 14 दिन में 3000 से ज्यादा बड़ी बैठकों का आयोजन किया था। इनमें से अकेले जयपुर में 180 बैठकें हो चुकी है।

सूत्रो के मुताबिक पता चला है कि सीमा क्षेत्र के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेक, गंगानगर जैसे जिलों में संघ ज्यादा सक्रिय है। इन क्षेत्रो में भाजपा को कमजोर भी बताया जा रहा है। टोंक में एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी के लिए संघ पूरी तरह से जुटा हुआ है।

इसी तरह बराबर की टक्कर होने के कारण भाजपा ने एक बार फिर से अपनी जीत को कायम रखने के लिए और कांग्रेस को कांटे की टक्कर देने के लिए अपने सभी समर्थनों और मतदाताओं के लिए कई तरह की सुविधाओं कि व्यवस्था शुरू कर दी है।

इस तरह से तीन चरणों को किया पूराः-

प्रथम चरणः

संघ के प्रति और विभाग स्तर के 40 बड़े पदाधिकारियों में जिम्मेदारी के लिहाज से 200 विधानसभा सीटों का बंटवारा किया गया है। इसमें जिला स्तर पर एक-एक पदाधिकारी को जिम्मेदारी सौपी गई है।

दूसरा चरणः

हर बैठक में 100 से लेकर 250 तक ब्लाॅक और नगर स्तर के कार्यकर्ता शामिल रहे।

तीसरा चरणः

घर घर जाकर लोगो को मतदान के लिए संपर्क किया।

40 बड़े पदाधिकारियों में सीटों का बंटवारा, 200 सीटों पर एक- एक पदाधिकारी करके तीन चरणों को पूरा कर दिया है। अब चैथा चरण बाकी है जिसमें मतदान के दिन मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने का काम किया जाएगा।

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