हनुमान बेनीवाल के दो मजबूत सिपाहियों ने छोड़ा साथ, एक ने भाजपा तो एक ने कांग्रेस का थामा हाथ; क्या बदलेंगे मारवाड़ के समीकरण?

चौक टीम, जयपुर। राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल का तगड़ा झटका लगा है। बाड़मेर के बायतू से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके उम्मेदाराम बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से इस्तीफा दे दिया है। उम्मेदाराम ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस जॉइन की। इधर मारवाड़ के ही दिग्गज नेता, भोपालगढ़ के पूर्व विधायक और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ पुखराज गर्ग ने भाजपा का दामन थाम लिया है।

बता दें लोकसभा चुनाव से पहले करीब एक दर्जन दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल हो गए है। डॉ. करण सिंह यादव, पुखराज गर्ग ने भाजपा ज्वॉइन कर ली है। भाजपा मुख्यालय में प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, राजेंद्र राठौड़, अरुण चतुर्वेदी की मौजूदगी में डॉ. करण सिंह यादव, भंवर सिंह पलाड़ा, महेंद्र सिंह गुर्जर, पुखराज गर्ग, रोजगार विभाग के पूर्व निदेशक महेश शर्मा, परम नवदीप, प्रताप पूनिया, प्रो.वेद प्रकाश शर्मा ने भाजपा ज्वॉइन की है।

करण सिंह ने शुक्रवार को दे दिया था इस्तीफा

उल्लेखनीय है कि अलवर के दो बार के पूर्व सांसद करण सिंह टिकट नहीं मिलने से नाराज थे। उन्होंने शुक्रवार को ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। करण सिंह का कहना है कि भंवर जितेंद्र सिंह ने उनकी राजनीतिक हत्या की है। नए लड़के को टिकट दे दिया। वह पहले से ही विधायक है। ऐसे में मेरे जैसे अनुभवी व्यक्ति का टिकट काटकर ठीक नहीं किया है। करण सिंह ने कहा कि अलवर में सिर्फ जितेंद्र सिंह की चलती है। वह मनमानी करते है।

बेनीवाल ने आज ही दिया इस्तीफा

वहीं कांग्रेस ज्वॉइन करने से पहले उम्मेदाराम बेनीवाल ने आरएलपी से इस्तीफा देने की जानकारी अपने सोशल मीडिाय अकाउंट एक्स पर सार्वजनिक की है। बेनीवाल ने अपने पोस्ट में लिखा राम-राम साथियों के साथ त्यागपत्र की शुरुआत करते हुए लिखा है कि आप सब की भावनाओं के अनुरूप, मैं सार्वजनिक जीवन का एक बड़ा फैसला लेने जा रहा हूं। बेनीवाल ने बताया कि राजनीतिक कारणों के चलते आज इसी समय, मैं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। उम्मेदाराम ने पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल एवं पार्टी का आभार जताते हुए लिखा कि दिल्ली पुलिस कांस्टेबल पद की सेवा देने वाले सामान्य व्यक्ति को पार्टी में शामिल कर 2018 से राजनीतिक जीवन में आम जनता की सेवा करने का अवसर दिया।

विधानसभा चुनाव से जाने लगे थे साथी

आपको बता दें 2018 के विधानसभा चुनाव में आरएलपी के तीन विधायक जीते थे। 2019 में खुद भाजपा से गठबंधन कर बेनीवाल सांसद भी बन गए थे। भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद से पार्टी पटरी पर नहीं लौटी। विधानसभा चुनाव में 57 उम्मीदवार उतारे लेकिन सिर्फ अकेले वो खुद ही जीते। पार्टी पर नियंत्रण किस तरह से खो रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खींवसर में पार्टी के कर्ता-धर्ता रेवतराम ने ही विधानसभा चुनाव में साथ छोड़ भाजपा से टिकट लेकर हनुमान बेनीवाल के सामने खम्म ठोक दिया था। बेनीवाल को जीतने में पसीना आ गया, बहुत कम अंतर से वो जीत सके थे।

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