27 और 28 जनवरी का दिन अजमेर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए काफी कड़ी भरी यादों वाला रहा. सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एक छात्र ने जहां हॉस्टल में फंदे से लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त की तो वहीं सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हॉस्टल के ही 10 छात्रों को रेस्टिकेट करने के आदेश जारी किए. हालांकि दोनों ही मामले अलग-अलग घटित हुए. लेकिन दोनों ही मामलों में कहीं ना कहीं सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए काफी शर्मनाक घटना के रूप में देखे जा रहे हैं.
गर्ल्स हॉस्टल में छात्रा ने लगाया फांसी का फंदा
अजमेर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 27 जनवरी शुक्रवार देर रात एक छात्र ने गर्ल्स हॉस्टल में अपने कमरे में फांसी का फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त की. मृतक छात्रा ने इसी सत्र में सेंट्रल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था. संक्रांति के बाद 15 जनवरी को ही छात्रा घर से वापस यूनिवर्सिटी लौटी थी. मृतक छात्रा बीएससी माइक्रोबायोलॉजी की छात्रा था. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंपा दिया है. हालांकि परिजनों ने छात्रा द्वारा नासमझी में कदम उठाने की बात कही है. तो वहीं अभी तक आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है.
यूनिवर्सिटी को 10 छात्रों को किया गया रेस्टिकेट
वहीं किशनगढ़ की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 28 जनवरी को यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा 10 विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी और हॉस्टल से 14 दिनों के लिए रेस्टीकेट कर दिया गया है. यूनिवर्सिटी द्वारा की गई इस कार्रवाई को अनुशासनात्मक कार्रवाई बताया जा रहा है. तो वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी में चर्चा है की इन छात्रों पर इस लिए कार्रवाई की गई क्यूंकि इन छात्रों द्वारा बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करवाई गई थी. जिसके चलते यूनिवर्सिटी द्वारा इन छात्रों पर कार्रवाई की गई है. हालांकि यूनिवर्सिटी की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है,
पीयूसीएल ने कार्रवाई को बताया अन्यायपूर्ण
यूनिवर्सिटी द्वारा 10 छात्रों पर की गई कार्रवाई को पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ( पीयूसीएल ) द्वारा यूनिवर्सिटी को कुलपति को पत्र लिखकर इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताया है. साथ ही छात्रों को रेस्टीकेट करने के आदेश को वापस लेने की मांग की है