जोधपुर: राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने अपने सारे बड़े नेताओं को प्रचार में उतार दिया है, जोर-शोर से प्रचार करने के साथ ही दोनों खेमा जातिय समीकरण बिठाने की भी कोशिश में जुटे हैं, 200 सीटों वाले राजस्थान विधानसभा में सरकार बनाने के लिए राजपूत जाति के वोटों की काफी अहमियत होती है, राजस्थान की ऐतिहासिक पहचान भी काफी हद तक राजपूतों की वजह से ही है, यहां के राजनीतिक गलियारे में कहा जाता है कि राजपूत वोटर ही राजस्थान में सरकार बनाते और बिगाढ़ते हैं, 1990 के दशक के बाद से राजपूतों को झुकाव बीजेपी के प्रति देखा जाता रहा है, इस बार राजपूत समाज के लोग बीजेपी से थोड़े नाराज चल रहे हैं ।
CM के खिलाफ है राजपूत समाज
राज्य में राजपूतों को बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुए कई प्रकरणों का हवाला देकर राजपूत संगठनों ने बीजेपी खासकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, बीजेपी का कहना है कि राजपूत समाज में कोई नाराजगी नहीं है और राजपूत पहले की तरह इस बार भी बीजेपी को वोट करेंगे, राज्य की कुल आबादी में करीब 12 फीसदी राजपूत हैं और वे करीब 30 सीटों पर जीत-हार तय करने की ताकत रखते हैं, वैसे राजपूत मतदाताओं की तकरीबन हर सीट पर ठीकठाक मौजूदगी है
फिल्म पद्मावत प्रकरण से भी है राजपूतों में नाराजगी
‘आनंद पाल एनकाउंटर मामले, पद्मावत प्रकरण और मानवेन्द्र सिंह के जाने से बीजेपी और राजपूतों के बीच दूरी बनी है, पिछले कुछ महीनों में बीजेपी ने मनाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन शायद वह इसको लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है कि राजपूत पहले के चुनाव की तरह इस बार भी उसके साथ डंटकर खड़े रहेंगे.’ इस विधानसभा चुनाव में ‘राजपूत करणी सेना’ और ‘श्री राजपूत सेना’ जैसे संगठन बीजेपी का खुलकर विरोध कर रहे हैं जिसने सत्तारूढ़ पार्टी की मुश्किलों में इजाफे का काम किया है ।