बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से सरकार की ओर से निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत शुरू की गई योजना में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. शिक्षा विभाग की ओर से इस पर मंथन शुरू कर दिया गया है. इसके साथ ही अब निजी स्कूलों में आरटीई के तहत होने वाले प्रवेश को एंट्री लेवल पर किए जाने पर कवायद की जा रही है. इसको लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मीटिंग हो चुकी है. साथ ही अब इस पर राय मशविरा का दौर चल रहा है.
साल 2011 में कांग्रेस ने की थी शुरुआत
कांग्रेस सरकार की ओर से साल 2011 में बच्चों को निजी स्कूलों में बेहतर शिक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सूचना के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में एंट्री लेवल की कक्षा में 25 फीसदी सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की गई. इन सीटों पर होने वाले सभी प्रवेश और उनकी पढ़ाई का खर्चा सरकार द्वारा ही वहन किया जाता है. सरकार की ओर से 29 मार्च 2011 को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के रूप में लागू किया गया. साथ ही सत्र 2012-13 में स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई.
तीन साल से कक्षा 1 में हो रहे आरटीई के तहत प्रवेश
तीन साल पहले आरटीई प्रवेश को लेकर बदलाव करते हुए कक्षा-1 में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश देने की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन इस प्रवेश को लेकर कई बार विवाद भी देखने को मिला. यहां तक की कक्षा-1 में प्रवेश देने के फैसले का हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई.
साल 2023-24 सत्र से हो सकता बदलाव
शिक्षा विभाग की ओर से प्रवेश कक्षा में बदलाव करने की तैयारी की जा रही है. निजी स्कूलों में आरटीई के तहत होने वाले प्रवेश लेवल को अब एंट्री लेवल पर किया जाने को जल्द ही मूर्त रूप दिया जा सकता है. साथ ही शिक्षा विभाग के सूत्रों की बात की जाए तो सत्र 2023-24 से ही एंट्री लेवल में प्रवेश को हरी झंडी मिल सकती है.
पूरी 25 फीसदी सीटों पर भी दिया जा सकता है प्रवेश
एंट्री लेवल पर निजी स्कूलों में आरटीई के तहत सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया को इसी सत्र में अमल में लाया जा सकता है. इसके साथ ही एंट्री लेवल की कक्षा की कुल सीटों का 25 फीसदी प्रवेश दिया जा सकता है. इसके साथ ही अन्य कक्षाओं की सीटों को जोड़कर औसत निकाला जा सकता है.