जयपुर। पंचायती राज संस्थाओं के प्रशासनिक एवं वित्तीय हितों पर किए जा रहे कुठाराघात के विरोध में सरपंच संघ राजस्थान ने अपने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। प्रदेशभर में 11000 से ज्यादा सरपंचों ने 20 अप्रैल से कार्य बहिष्कार कर रखा है। वो आंदोलन कर रहे हैं। सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि सरकार की ओर से तीन सालों से पंचायती राज संस्थाओं एवं उनके चुने हुए जनप्रतिनिधियों को लगातार कमजोर करने का काम कर रही है। उन्होने बताया कि विभिन्न मांगों को लेकर सरपंच 4 मई को सरपंच संघ की प्रदेश कार्यकारिणी तथा जिला अध्यक्षों के द्वारा शहीद स्मारक पर सांकेतिक धरना दिया जाएगा। 5 मई से 13 मई तक प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालय पर सरपंच संघ के प्रदेश पदाधिकारियों के द्वारा विरोध प्रदर्शन एवं सभाएं की जाएगी। अगर मांगों नहीं मानी जाती है तो 15 मई 2023 को शहीद स्मारक से मुख्यमंत्री आवास तक महारैली एवं मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा।
राजस्थान की सरकार ने सबसे पहले तो पंचायतराज संस्थाओं के चुनाव समय पर नहीं करवाए तथा चुने हुए जनप्रतिनिधियों के स्थान पर अधिकारियों को प्रशासक के रूप में लगाकर हमारे प्रशासनिक हितों पर कुठाराघात किया गया। उसके बाद तीन वर्षो से केंद्र व राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान भी समय पर पंचायतीराज संस्थाओं को नहीं दिया जाकर प्रदेश की 70% ग्रामीण आबादी के मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में भी बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न की जा रही है।
सरपंच संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नेमी चंद मीणा ने बताया कि वर्तमान सरकार के द्वारा वर्ष 2022–23 के राज्य वित्त आयोग अनुदान के 2533 करोड़ रुपए में से एक भी रुपया पंचायतीराज संस्थाओं को हस्तांतरित नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2022 –23 के केंद्रीय वित्त आयोग की द्वितीय किस्त के ₹1500 करोड़ रुपए का भी विगत 2 माह से राज्य सरकार उपयोग कर रही है। इस प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के 4000 करोड रुपए का राज्य सरकार अपने अन्य कार्यों के लिए उपयोग कर ग्रामीण आबादी के विकास में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है।