अजीबो गरीब प्रथाओं के लिए भारत तो है ही मशहूर। भक्ति और अन्धविश्वास जहाँ मिल जाए वहां तो फिर भगवान् ही मालिक है। हम बात कर रहे है एक ऐसी प्रथा की जिसमे इंसान के ऊपर से 550-600 किलोग्राम तक की गाये भागते हुए जाती है। मध्य प्रदेश के उज्जैन के कुछ गांवों में सदियों से ये परंपरा चली आ रही है। दिवाली के अगले दिन एकादशी पर्व को ये परंपरा निभाई जाती है।
गले में माला डालकर रास्ते में लेट जाते हैं
इसके पहले लोग अपनी गायों को रंगों से सजाते हैं, फिर अपने गले में माला डालकर रास्ते में लेट जाते हैं। इसके बाद गायों को छोड़ दिया जाता है और वे दौड़ती हुईं लोगों के ऊपर से गुजर जाती हैं। ऐसा सुनकर यूँ लगेगा की क्या उन लोगो को गहरी चोटे नहीं आती या उनकी मौत तो नहीं हो जाती ? लेकिन दावा किया जाता है कि उस गांव के लोगो को ऐसा कुछ नहीं होता। एक साथ कई गाय और बैल लोगों को पैरों से रौंदते हुए निकल जाते हैं.
प्रक्रिया रात होते ही शुरू हो जाती है
और किसी को चोट तो दूर, एक हल्की सी खरोंच तक नहीं आती। ऐसा दावा करने वालों के मुताबिक एक अंजान शक्ति उनकी रक्षा करती है। प्रक्रिया रात होते ही शुरू हो जाती है जिसमे गौहरी के लिए गायो को लाया जाता है और एक विशेष मंदिर की 7 प्रक्रिमा लगवाई जाती है। जैसे ही गायो की प्रक्रिमा शुरू होती है, सामने कुछ गौहरी के लिए कुछ लोग आकर लेट जाते है। ऐसा माना जाता है की जो लोग लेटते है और उनमें माता आती है। माताजी के आते ही वह लोग कांपने लग जाते है लेकिन ज़मीन पर लेटे रहते है।
सातो बार गाये लोगो को रौंदते हुए जाती है
जैसे ही गाये सामने आती है वह लोग उनके सामने कूद जाते है और गाये उन्हें रौंदते हुए चली जाती है। गौहरी में पूरे 7 चक्कर लगवाए जाते है गायो से और सातो बार गाये लोगो को रौंदते हुए जाती है। माना जाता है की सबसे खतरनाक चक्कर तीसरा होता है लेकिन फिर भी लोग वही लेटे रहते है। अक्सर गायें, शोर और खींचतान से घबरा कर खुद ही लेटे हुए इंसानों के बगल से निकल जाती हैं और जब भी वो अपने पूरे वजन के साथ इंसानों को पैरों तले दबा देती हैं तो लोग जख्मी भी होते हैं।
ऐसी ही भक्ति से किसी की जान चली जाए
इसमें मौत भी हो सकती है जिसकी जानकारी डॉक्टर और पुजारी ने भी की थी। भक्ति और अन्धविश्वास का फर्क समझाना तो काफी मुश्किल है लेकिन अगर ऐसी ही भक्ति से किसी की जान चली जाए तो उस से क्या ही मतलब। लोगो में इस चीज़ की जागरूकता कब आएगी इसका कोई जवाब ही नहीं मिला है। … क्या आपने कभी पहले ऐसी कोई प्रथा के बारे में सुना है तो हमे कमेंट करके बताए।