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कभी नाम पड़ गया “चायवाला”, लेकिन संघर्ष के बाद मुकाम कर लिया हासिल

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शिखर पर पहुंचना है तो सपने देखना जरूरी है और इन सपनों को पूरा करने के लिए हर संघर्ष पर जीत हासिल करना जरूरी है. कुछ ऐसी ही कहानी है हिमांशु गुप्ता की. बेहद गरीबी में अपना जीवन काटने वाले हिमांशु गुप्ता ने चार बार यूपीएससी की परीक्षा की दी. पहले प्रयास में असफलता तो दूसरे और तीसरे प्रयास में आईएएस बनने से कुछ कदम की दूरी रही. लेकिन हार नहीं मानते हुए आखिरकार चौथे प्रयास में अपने सपने को पूरा किया हिमांशु गुप्ता ने. शिखर पर पहुंचने की कहानी में आज हम बात करने जा रहे आईएएस हिमांशु गप्ता की

पिता के साथ चाय की दुकान पर किया काम, अंग्रेजी सीखने के लिए निकाला रास्ता

उत्तराखंड के उधम सिंह जिले सितारगंज में जन्मे हिमांशु का बचपन बहुत ही गरीबी में कटा, हिमांशु गुप्ता का स्कूल इतना दूर था की आने-जाने के लिए करीब 70 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता था. स्कूल से आने के बाद हिमांशु अपने पिता की चाय की दुकान पर उनका हाथ बंटाते थे. इतने संघर्ष के बाद भी पूरा परिवार दिन में महज 300 से 400 रुपये ही कमा पाता था. चाय की दुकान पर काम करने के चलते दोस्त हिमांशु को चायवाला कहकर बुलाते थे. लेकिन हिमांशु ने कभी इसकी परवाह नहीं की. अंग्रेजी में थोड़ा कमजोर होने के चलते हिमांशु  ने अंग्रेजी फिल्मों की डीवीडी से अंग्रेजी सीखी.

यूनिवर्सिटी में टॉप करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी की शुरू

पढ़ाई में अच्छे होने के चलते हिमांशु ने चाहे स्कूल हो या कॉलेज या फिर यूनिवर्सिटी हमेशा अच्छा प्रदर्शन ही किया. हिमांशु ने यूनिवर्सिटी में टॉप करते हुए अपने परिवार के साथ ही अपने गांव का भी नाम रोशन किया. और यहीं से हिमांशु ने आईएएस बनने का सपना देखा. हिमांशु को यूनिवर्सिटी टॉप करने पर विदेश में पीएचडी के लिए स्कॉलरशिप भी मिली. लेकिन हिमांशु अपने परिवार से दूर नहीं जाना चाहते थे इसलिए हिमांशु ने इस ऑफर को ठुकरा दिया. और यहीं रुकते हुए सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए.

पहले प्रयास में रहे असफल, तो चौथी बार में हासिल की कामयाबी

हिमांशु गुप्ता ने यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी करते हुए पहली बार में बिना किसी कोचिंग सिविल सेवा की परीक्षा दी. लेकिन पहले प्रयास में वो असफल रहे. लेकिन हिमांशु गुप्ता ने इस असफलता से हार नहीं मानी. इसके बाद हिमांशु ने पहली बार 2018 में यूपीएससी की परीक्षा क्लियर की जिसके बाद भारतीय रेलवे यातायात सेवा में उनका चयन हुआ. इसके बाद साल 2019 में फिर से सिविल सेवा की परीक्षा पास की ओर इस बार भारतीय पुलिस सेवा के लिए चयन हुआ. लेकिन हिमांशु को आईएएस के पद पर पहुंचने के अपने सपना को पूरा करना था. जिसके लिए वो दिन रात लगे रहे. और आखिरकार साल 2020 का जब परिणाम आया तो हिमांशु का सालों का सपना भी पूरा हो गया. और चौथे प्रयास में हिमांशु भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए.

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