कभी चलाई पंचर की दुकान तो कभी पढ़ाया ट्यूशन, अब आईएएस बनकर नाम किया रोशन

कहते हैं जब इरादे मजबूत हो तो सफलता खुद ब खुद आपके कदम चूमती है. असफलता और विपरीत परिस्थितियों से हार मानकर रुक जाने वालों के लिए वरुण वर्णवाल एक मिसाल है. कभी पंचर की दुकान पर काम करके तो कभी ट्यूशन पढ़ाकर अपने सपने पूरे करने का हुनर अगर सीखना है तो वरुण वर्णवाल सबसे बड़ा उदाहरण है. शिखर पर पहुंचने की कड़ी में आज हम बात करेंगे 2013 में सिविल सर्विसेज परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल करने वाले वरुण की.

पिता की मौत के बाद टूटा समस्याओं का पहाड़

महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर बोइसार के रहने वाला लड़का वरुण वर्णवाल. 10 वीं की परीक्षा देने के महज 3 दिन बाद ही सर से पिता का साया उठने के बाद मानो वरुण पर आपदाओं का पहाड़ ही टूट गया हो. परिवार के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया. यहां तक कि खाने के भी लाले पड़ गए. लेकिन जब 10वीं का परिणाम आया तो वरुण ने पूरे शहर में दूसरा स्थान प्राप्त किया.लेकिन वरुण ने इन समस्याओं से हार नहीं मानी. अपने परिवार की जिम्मेदारियों को उठाते हुए ना सिर्फ वरुण ने पढ़ाई की. साथ ही आईएएस बनकर अपने सपने को भी साकार किया.

मजबूत हौसलों के चलते नहीं मानी हार

कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों और मजबूत आत्मविश्वास हो तो हर इंसान अपने सपनों को पूरा कर लेता है. वरुण के साथ भी ऐसा ही हुआ. वरुण ने एक समय अपनी स्कूल की पढ़ाई छोड़ साइकिल के पंक्चर लगाने का काम शुरू किया था. पिता की मौत के बाद परिवार के लिए वरुण की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई थी. 10वीं की परीक्षा देने के बाद वरुण ने परिवार का दायित्व संभाला और अपने पिता की साइकिल की दुकान चलाना शुरू किया.

परिचय डॉक्टर बनकर आये मशीहा

10वीं कक्षा की परीक्षा देने के बाद वरुण के पिता की मौत ने उनको काफी झंझोकर रख दिया गया था. आर्थिक समस्याओं के चलते वरुण आगे की पढ़ाई नहीं कर सकता था. लेकिन इस बीच उनके एक परिचित डॉक्टर उनके लिए मसीहा के रूप में सामने आए. पढ़ाई के प्रति वरुण की रूचि देखते हुए वरुण की पढ़ाई जारी करवाई . 12वीं कक्षा पास करने के बाद वरुण ने इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया. लेकिन कॉलेज की फीस नहीं भरने की समस्या भी उनके सामने थी. अपनी फीस भरने के लिए दिन में कॉलेज तो शाम को पंचर की दुकान पर काम करके. रात को बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम भी वरुण ने किया. वरुण की मेहनत आखिरकार रंग लाने लगी अपने पहले क सेमेस्टर में वरुण ने टॉप करते हुए सबको चौंका दिया. जिसके बाद कॉलेज ने वरुण की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देना शुरू किया.

8 साल की कड़ी मेहनत आखिरकार लाई रंग

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही वरुण ने यूपीएससी की परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी. और 8 साल की कड़ी मेहनत के बाद यूपीएससी की परीक्षा में 32 वी रैंक हासिल की

पढ़ाई के साथ ही सामाजिक कार्यों में रहे आगे

वरुण वर्णवाल पढ़ाई में तो काफी आगे थी साथ ही सामाजिक सेवा कार्यों में भी वह हमेशा आगे रहते थे. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समाजसेवी अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल के आंदोलन में भी वरुण वर्णवाल नहीं लिया था.

Related articles

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

follow on google news

spot_img

Share article

spot_img

Latest articles

Newsletter

Subscribe to stay updated.