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कभी बिल्डिंग क्लर्क तो कभी किया वेटर का काम,लेकिन आज युवाओं के लिए बने आदर्श

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के जय गणेश एक ऐसा नाम है जो देश के युवाओं को हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं. संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा परिषद 2008 में पास करने वाले के जयगणेश को प्रशासनिक सेवा में आए करीब 15 साल का समय हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी के जयगणेश आज भी जो युवा संघर्षों के बीच सफलता प्राप्त नहीं होने पर हताश होता है तो वो के जयगणेश को आदर्श मानकर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त करता है. शिखर पर पहुंचने की कहानी में आज हम बात करने जा रहे हैं वेल्लोर जिले के विनवमंगलम के रहने वाले के जयगणेश की.

एक साधारण परिवार में हुआ जन्म, संघर्षों के बीच पढ़ाई की पूरी

वेल्लोर जिले के विनवमंगलम नाम के एक छोटे से गांव में जन्मे जयगणेश के पिता एक कारखाने में काम करते थे. कारखाने में काम करते हुए अपने परिवार का भरण पोषण करना एक बड़ी चुनौती थी. सिर्फ जयगणेश के परिवार की ही नहीं गांव के हर घर की बात की जाए तो हर घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. के जयगणेश इसी गरीब को दूर करने के लिए शुरू से ही मन में ठान चुके थे.

संघर्षों के बीच एक-एक सीढ़ी पर कदम रखते हुए बढ़े आगे, वेटर तक का किया काम

जय गणेश शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छे रहे थे.  जय गणेश ने 8वीं कक्षा की पढ़ाई गांव से ही पूरी की तो 10वीं पास करने के बाद जय गणेश ने एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला लिया जहां पर उन्होंने 91 फीसदी अंक हासिल किए. इसके बाद तांथी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पढाई करने के बाद पहली नौकरी 2500 रुपये महीने के वेतन में नौकरी की. इंजीनियर के रूप में सरकारी नौकरी नहीं मिलने के बाद जय गणेश ने सत्यम सिनेमा में बिल्डिंग क्लर्क के पद पर भी काम किया इसके साथ ही समय मिलने पर वेटर के रूप में भी किया काम. 

6 असफल प्रयासों के बाद 7वें प्रयास में सफलता की हासिल

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान ही के जयगणेश के मन में अपने गांव के लिए कुछ करने की जिद थी. जिसके बाद जय गणेश ने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की. लेकिन आर्थिक हालातों के चलते जय गणेश के सामने की बड़ी चुनौतियां थी. के जयगणेश ने सफलता से पहले 6 बार असफलता का मुंह देखा. लेकिन असफलता से कभी हार नहीं मानी और आखिरकार 7वें प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा परीक्षा 2008 में 156वीं रैंक हासिल करते हुए अपने सपने को पूरा किया.

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