राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में अपने गुरु शंकर लाल का विशेष सम्मान किया। उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे उनके गुरुजी ने उन्हें शिक्षा का महत्व सिखाया। उन्होंने कहा, “गुरु के बिना जीवन सूना है।”
पहले एडमिशन का महत्व
मुख्यमंत्री ने अपने पहले विद्यालय में एडमिशन के अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि उस समय पहले एडमिशन का बहुत महत्व होता था। उनके गुरु शंकर लाल जी ने उन्हें पांचवीं कक्षा तक पढ़ाया और उनके जीवन में शिक्षा की नींव रखी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि पहले जब प्रथम बार विद्यालय जाते थे तो घरवाले गुड़ बांटते थे. मेरे एडमिशन की दादाजी ने काफी तैयारी की थी. जब वे ले गए तो पट्टी (स्लेट) को सजाया. गुरु दक्षिणा लेकर विद्यालय गए. पहले एडमिशन का बड़ा महत्व था. शंकर लाल जी मास्टर साहब विद्यालय में अकेले शिक्षक थे. मेरा प्रथम एडमिशन उन्होंने ही किया. 5वीं तक उन्होंने मुझे पढ़ाया.
शिक्षक समाज के निर्माता
समारोह में मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को समाज का निर्माता बताते हुए कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों का जीवन गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, “गुरु का संस्कार बालक के प्रति समर्पण होता है।”
विद्यार्थियों के लिए टैबलेट वितरण
इस मौके पर राज्यभर के विद्यार्थियों को 55,800 टैबलेट वितरण की शुरुआत की गई। जयपुर में मुख्यमंत्री ने 11 विद्यार्थियों को टैबलेट बांटे। इसके साथ ही अन्य जिलों में भी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से टैबलेट वितरित किए गए।
145 शिक्षकों का सम्मान
समारोह में प्रदेशभर के 145 से अधिक शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने सभी शिक्षकों को बधाई दी और उनके पवित्र कार्य के लिए आभार व्यक्त किया।
शिक्षक दिवस का महत्व
हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। मुख्यमंत्री और राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने भी शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं और उनके महत्वपूर्ण कार्यों की सराहना की।