हौसलों की मिसाल कायम की रिचा शेखावत ने, संघर्ष के बल पर पाया मुकाम

दुखों का पहाड़ किसी पर टूटे तो मानो उसकी पूरी दुनिया की खत्म हो जाती है. जीवनभर का साथ देने के वादे के साथ शादी कर घर में लाए पति की अनाचक मौत के बाद दो बच्चों की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए अपने लक्ष्य का प्राप्त करना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगता है. शिखर पर पहुंचने इस सफर में आज हम बात करने जा रहे रिचा शेखावत की. न्यायिक सेवा 2021 में 88वीं रैंक हासिल करने वाली रिचा शेखावत जब सुर्खियों में आई तो. इस सफलता के पीछे के संघर्ष की कहानी जानकर हर किसी के आंखों से आंसू और दिल से दुआए ही निकली.

10 साल में तीन बड़े आघात, 2017 में तो टूट ही गई थी रिचा शेखावत

2021 न्यायिक सेवा में 88वीं रैंक हासिल करने वाली रिचा शेखावत का जीवन संघर्षों की कहानियों से भरा हुआ है. 2006 में रिचा की शादी चूरू रतननगर निवासी नवीन सिंह राठौड़ के साथ हुई. हाथों से अभी मेहंदी भी नहीं उतरी थी की शादी के तीन महीनों के बाद ही एक दर्घटना में रिचा शेखावत की सास का निधन हो गया. सास के निधन के साथ ही रिचा शेखावत पर पारिवारिक जिम्मेदारियां आ पड़ी. पढ़ाई में शुरू से ही मन होने के चलते रिचा शेखावत ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए रिचा ने 2009 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. साल 2017 में हृदयघात के चलते रिचा शेखावत के पति का निधन हो गया. अपने पति की मौत के सदमे से अभी रिचा बाहर भी नहीं आई थी कि साल 2018 में ससुर का साया भी रिचा के सिर से उठ गया. पति की मौत के बाद रिचा शेखावत के सामने अनुकंपा नियुक्ति का रास्ता खुला हुआ था. लेकिन रिचा शेखावत के सपने उसको कहीं और ही ले जाने वाले थे. जिसके चलते रिचा ने अनुकंपा नियुक्ति की नौकरी करने से इनकार कर दिया.

विधि अधिकारी बनने के बाद भी नहीं छोड़ा सपनों का पीछा

अपने दो बच्चों का लालन पालन करते हुए रिचा शेखावत ने अपनी पढ़ाई को लगातार जारी रखा. रिचा ने साल 2018 में पीजी डिप्लोमा इन लीगल एण्ड फोरेंसिक साइंस में किया साथ ही साल 2020 में MGSU बीकानेर से टॉप करते हुए एलएलबी की पढ़ाई पूरी की, रिचा ने अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर साल 2021 में आरपीएससी से चयनित होकर विधि अधिकारी बनते हुए PHED बीकानेर में पदस्थापित हुई. लेकिन रिचा यहीं रुकने वाली नहीं थी. पदस्थापित होने के बाद भी रिचा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद रिचा शेखावत ने आरजेएस की तैयारी शुरू कर दी. और आरजेएस परीक्षा में रिचा शेखावत ने 88वीं रैंक हासिल करते हुए आखिरकार अपने सपने को पूरा किया.

11वीं में पढ़ने वाली बेटी ने हर कदम पर दिया साथ, पढ़ाई से लेकर दिनचर्या तक का बनाया टाइम टेबल

रिचा शेखावत की एक बेटी और एक बेटा है. रिचा की बेटी दक्षयायनी ने रिचा का हर कदम पर साथ दिया, 11वीं में पढ़ने दक्षयायनी अपनी बात की हर बात का ध्यान रखती थी. नौकरी के साथ ही क्या क्या करना है. कब पढ़ाई करनी है तो पूरे दिन की क्या रहेगी दिनचर्या इसका टाइम टेबल बेटी दक्षयायनी द्वारा ही बनाया जाता था. इसके साथ ही रिचा का बेटा जयादित्य 7वीं कक्षा में पढ़ता है. रिचा को अपना सपना पूरा करने के लिए पारिवारिक लोगों का भी पूरा सपोर्ट मिला

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