जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में पिछले साल 25 सितंबर को हुए विधायकों के इस्तीफ़ा प्रकरण में बड़ा ख़ुलासा हुआ है। विधानसभा सचिव की तरफ से हाईकोर्ट में दिए हलफनामे में कहा गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे, इसलिए इन्हें मंजूर नहीं किया गया।
उपनेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट चीफ जस्टिस पंकज मित्थल की बेंच में सुनवाई हुई, विधानसभा सचिव की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पैरवी की। राज्य के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) भी पेश हुए। अब अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी।
विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने सोमवार को इस्तीफा देने वाले 81 विधायकों को पूरा ब्योरा पेश किया है। इसमें स्पीकर को इस्तीफा देने से लेकर इस्तीफे वापसी तक की पूरी फाइल नोटिंग भी हाईकोर्ट में पेश की गई है। विधानसभा स्पीकर ने इस्तीफे वापसी का कारण बताया है। इसमें लिखा है- सभी विधायकों ने अलग-अलग मेरे सामने पेश होकर स्वैच्छिक रूप से इस्तीफे वापस लिए जाने के प्रार्थना-पत्र पेश किए हैं।
प्रार्थना पत्रों में यह साफ उल्लेख किया है कि उनके द्वारा पहले दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे। सभी विधायकों ने राजस्थान विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173 ( 4 ) के अनुसार स्वैच्छिक रूप से अपने इस्तीफे वापस लिए हैं। यह मामला 10वीं अनुसूची का नहीं, मंत्री और विधायकों के इस्तीफों का है। इसलिए इसमें चार सप्ताह में फैसला करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं होता।
25 सितंबर को विधानसभा स्पीकर के सामने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेस विधायक रफीक खान और निर्दलीय विधायक और सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा खुद सहित 81 विधायकों के इस्तीफे लेकर गए थे। इनमें पांच विधायकों के इस्तीफे की फोटोकॉपी थी। पांच विधायकों ने फोटोकॉपी वाले इस्तीफे दिए थे। उनमें से तीन विधायक पहले पायलट कैंप में थे और सियासी संकट के समय गहलोत के साथ आए थे। इनमें चेतन डूडी, दानिश अबरार और निर्दलीय सुरेश टाक शामिल हैं।गहलोत समर्थक अमित चाचाण (नोहर, हनुमानगढ़) और गोपाल मीणा (जमुआ रामगढ़, जयपुर) ने भी फोटोकॉपी वाला इस्तीफा सौंपा था।