राजस्थान विश्वविद्यालय के 6 असिस्टेंट प्रोफेसर 26 दिसंबर से कुलपति सचिवालय के सामने धरने पर बैठे हैं. इस मामले में सरकार ने भी बीते साल यूनिवर्सिटी प्रशासन को पत्र लिखकर प्रमोशन की मांग को जायज करार देते हुए प्रमोशन देने के निर्देश दिए थे. साल 2009 में रिसर्च एसोसिएट अशोक सिंह, सुरेंद्र सिंह, नरेश मलिक, रमेश चावला, महिपाल यादव और पीएल बत्रा को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर डेजिग्नेट किया गया था. लेकिन दूसरी ओर राविवि प्रशासन इस पर अभी भी सरकार से प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं. जबकि सिंडिकेट भी असिस्टेंट प्रोफेसर को 19 मई 2001 से पदोन्नति का लाभ देने की अनुशंसा कर चुका है.
पदोन्नति नहीं मिलने से सहायक प्रोफेसर नाराज,11 दिन से धरने पर बैठे 6 प्रोफेसर
पदोन्नति का लाभ नहीं दिए जाने से राजस्थान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर नाराज है. सहायक प्रोफेसर अपनी मांगों को लेकर 26 दिसंबर 2022 से लगातार धरना दे रहे हैं. लेकिन धरने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. कुलपति सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे धरनार्थियों का कहना है कि ” राजस्थान विश्वविद्यालय के 272 शिक्षकों में एक मात्र शिक्षक डॉ. रमेश चावला को पदोन्नति न देकर उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है. राज्य सरकार के आदेश 28 फरवरी 2022 और 20 अक्टूबर 2022 और सिंडिकेट के 5 मई 2022 और 26 दिसंबर 2022 के फैसले के तहत 6 सहायक प्रोफेसरों को भी पदोन्नति का लाभ मिलना चाहिए था. राज्य सरकार ने 28 फरवरी और 20 अक्टूबर 2022 के आदेश से राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन को 272 अन्य शिक्षकों के समकक्ष मानते हुए उन्हें पदोन्नति का लाभ दिए जाने को कहा था. लेकिन, विश्वविद्यालय ने आज तक सरकार के आदेशों की पालना नहीं की.”
सिंडिकेट भी लगा चुकी है अपनी मुहर, लेकिन नहीं मान रहा राविवि प्रशासन
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय सिंडिकेट ने 5 मई और 26 दिसंबर 2022 को इन शिक्षकों के संबंध में राज्य सरकार के दोनों आदेशों को मंजूरी दे दी है. लेकिन, विश्वविद्यालय प्रशासन न तो राज्य सरकार के आदेश मान रहा हैं और न ही विश्वविद्यालय सिंडिकेट के. जबकि विश्वविद्यालय में आज तक यह नियम रहा हैं कि सिंडिकेट और सरकार के निर्णय को तत्काल लागू किया जाता है.