राजस्थान में सरकारी स्कूलों के मर्जर को लेकर मचा राजनीतिक विवाद जारी है। विपक्ष ने इसे गरीबों की शिक्षा पर कुठाराघात बताया है। इस पर राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रदेश में एक भी सरकारी स्कूल बंद नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा,”अगर स्कूल बंद किए गए होते, तो रीट परीक्षा के जरिए 50,000 शिक्षकों की भर्ती का कैलेंडर क्यों जारी किया जाता?”
मर्जर का उद्देश्य और आंकड़े
तिवाड़ी ने बताया कि शिक्षा में सुधार के लिए कम छात्रों वाले स्कूलों को मर्ज कर उन्हें एक बेहतर संस्थान में समाहित किया गया है। ऐसे 369 स्कूलों को मर्ज किया गया जहां 5, 20 या 100 छात्र ही पढ़ते थे।
मर्जर से छात्रों और शिक्षकों को अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जा सके।
जिन स्कूलों में पर्याप्त छात्र नहीं थे, वहां के शिक्षकों को भी समायोजित किया गया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जैसे ही नए एडमिशन होंगे, मर्ज किए गए स्कूलों को फिर से चालू किया जाएगा।
विपक्ष के आरोपों का जवाब
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मर्जर को स्कूल बंद करने का प्रयास बताया और आरोप लगाया कि यह आरएसएस के स्कूलों को फायदा पहुंचाने की साजिश है।
तिवाड़ी ने इन आरोपों को “मूर्खतापूर्ण” और “पागलपन” करार दिया। उन्होंने कहा कि विद्या भारती के विद्यालयों का इससे कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने महात्मा गांधी स्कूलों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि ये स्कूल सिर्फ प्रचार के लिए खोले गए थे “इन स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई। केवल स्कूलों के नाम बदल दिए गए, जो एक मजाक था। इसलिए इन्हें बंद करना पड़ा।”
शिक्षा में राजनीति की जरूरत नहीं
तिवाड़ी ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस शिक्षा के नाम पर राजनीति कर रही है। “शिक्षा में राजनीति की जरूरत नहीं, बल्कि राजनीति में शिक्षा की जरूरत है। पढ़ाई करें और अनर्गल आरोप न लगाएं।”
कांग्रेस पर तीखा पलटवार
तिवाड़ी ने कहा कि कांग्रेस का राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व भारत की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर भारतीय संस्कृति और एकता के खिलाफ लड़ाई करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार ने सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मूल्यों को स्थापित किया है। कांग्रेस इसे अपने कल्चर के कारण सहन नहीं कर पा रही।”