HomeWeatherप्रदूषण का कहर: दिल्ली के बाद राजस्थान में भी स्कूलों की छुट्टी

प्रदूषण का कहर: दिल्ली के बाद राजस्थान में भी स्कूलों की छुट्टी

राजस्थान में खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण। खैरथल-तिजारा में स्कूल बंद और बीकानेर के खारा गांव में फैक्ट्रियों के धुएं से लोग बीमार।

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खैरथल-तिजारा जिले में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए पहली से पांचवीं कक्षा तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में 20 से 23 नवंबर तक छुट्टी की घोषणा की गई है। जिले के कलेक्टर किशोर कुमार ने मंगलवार को इस फैसले का आदेश जारी किया।

बढ़ती ठंड और प्रदूषण ने बिगाड़ा हाल

उत्तर भारत में हुई बर्फबारी के बाद राजस्थान में ठंड बढ़ गई है। साथ ही, प्रदूषण ने भी हालात को और खराब कर दिया है। भिवाड़ी में मंगलवार को AQI 326 दर्ज किया गया, जो खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। वहीं, बीकानेर और करौली जैसे शहरों में भी वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच चुकी है।

बीकानेर के खारा गांव में प्रदूषण की मार

बीकानेर के खारा गांव में पीओपी फैक्ट्रियों के धुएं ने वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है। नौ दिनों की जांच में पाया गया कि पीएम-10 की मात्रा मानक से 4 से 15 गुना अधिक है। इससे स्थानीय निवासियों के फेफड़ों में संक्रमण और सांस लेने में दिक्कतें बढ़ गई हैं।

प्रदूषण के खिलाफ कदम

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खारा गांव की स्थिति का अध्ययन करने के लिए तीन सदस्यीय टीम भेजी है। क्षेत्रीय अधिकारी राजकुमार मीणा ने प्रदूषणकारी फैक्ट्रियों को नोटिस जारी किए हैं। मशीनों की जांच में सल्फरडाई ऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) की मात्रा सीमा में पाई गई, लेकिन पीएम-10 की अत्यधिक मात्रा गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है।

बच्चों पर प्रदूषण का असर

खारा गांव के स्कूलों में बच्चे मास्क लगाकर आने को मजबूर हैं। स्कूल प्रिंसिपल सुमन सेठी के अनुसार, धुएं के कारण डिजिटल उपकरणों और कक्षाओं में हर रोज सफाई करनी पड़ती है। गांव के अधिकांश घरों में श्वास संबंधी बीमारियां आम हो गई हैं।

ठंड बढ़ने के साथ प्रदूषण की चुनौती

जयपुर, सीकर, अलवर जैसे शहरों में ठंडी हवाएं चलने से दिन का तापमान 30 डिग्री से नीचे दर्ज हो रहा है। वहीं, न्यूनतम तापमान सीकर में 7.2 डिग्री और माउंट आबू में 7.5 डिग्री तक पहुंच गया है। मौसम विभाग ने अगले चार-पांच दिनों में तापमान में और गिरावट की संभावना जताई है।

विशेषज्ञों की राय

वायु प्रदूषण विशेषज्ञों का मानना है कि पीओपी के बारीक कण फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्रियों को अन्यत्र स्थानांतरित करना ही एकमात्र समाधान है। जिला कलेक्टर ने मामले पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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