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राजस्थान पेपर लीक मामला: मास्टर मांइड ने कबूले कई गुनाह, परिजनों की लगवाई नौकरी…अब 500 से ज्यादा चिन्हित लोगों पर गिरेगी गाज!

राजस्थान एसओजी ने पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई की है। एसओजी ने पिछले 7-8 साल से कई भर्ती परिक्षाओं के पेपर लीक मामले में गिरफ्तारियां की हैं।

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चौक टीम, जयपुर। राजस्थान एसओजी ने पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई की है। एसओजी ने पिछले 7-8 साल से कई भर्ती परिक्षाओं के पेपर लीक मामले में गिरफ्तारियां की हैं। पेपर लीक मामले में आरोपी और मास्टरमाइंड हर्षवर्धन मीणा को नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया है। मीणा के सहयोगी राजेंद्र यादव को भी एसओजी द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों को जेईएन भर्ती परीक्षा मामले में गिरफ्तार किया गया। एसओजी द्वारा पूरे मामले में एक टीचर को भी गिरफ्तार किया गया है। उसका नाम भी राजेंद्र यादव है।

पुलिस ने अब तक 24 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया

अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, एटीएस एवं एसओजी वीके सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पेपर लीक प्रकरण में जांच के दौरान पुलिस ने अब तक 24 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें 5 अभियुक्त परीक्षार्थी, 19 अभियुक्त पेपर लीक गिरोह से जुड़े सदस्य एवं कोचिंग संचालक शामिल हैं। आरोपियों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर राजेन्द्र कुमार यादव एवं शिवरतन मोट उर्फ शिवा को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं एसओजी को इस संबंध में अन्य अभियुक्तों की तलाश जारी है।

एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि 3 साल पहले जेईएन पेपर लीक मामले में नामित मुख्य सरगना हर्षवर्द्धन मीना फरार था। वह पेशे से पटवारी हैं। एसओजी ने हर्ष वर्धन पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। पुलिस से बचने के लिए हर्षवर्द्धन मीना और उसका साथी राजेंद्र यादव नेपाल भाग जाते थे। साथ ही ये दोनों फरारी भी चलाते थे। नेपाल में ही हर्षवर्द्धन मीना के साथ पकड़े गए राजेंद्र यादव का चयन सब इंस्पेक्टर पद पर हो चुका है, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया।

पुलिस पूछताछ में इन सभी पकड़े गए अभियुक्तों द्वारा संगठित गिरोह बनाकर प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करना एवं मूल अभ्यर्थी की जगह डमी अभ्यर्थी बैठाकर परीक्षा दिलवाना पाया गया है। अब बताया जा रहा है कि एसओजी जल्द ही सभी अभ्यर्थीयों को चिन्हित कर कार्रवाई करने की योजना बना रही है।

मास्टर मांइड ने कबूले कई गुनाह, परिजनों की लगवाई नौकरी

एसओजी से मिली जानकारी के मुताबिक कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा 2020 का पेपर लीक प्रकरण में एसओजी द्वारा पकड़े गए मास्टर माइंड हर्षवर्धन मीणा 13 साल में इतने लोगों को नौकरी लगा चुका कि उसे खुद को ही नहीं पता। पूछताछ में गत 13 साल में करीब 500 से ज्यादा अभ्यर्थियों की पेपर लीक, डमी कैंडिडेट व ब्लूटूथ से नकल करवाकर नौकरी लगाने की बात कबूल की है। हर्षवर्धन के पास जयपुर, दौसा सहित पैतृक गांव में करोड़ों रुपए की प्रोपर्टी होने का पता चला है।

पकड़ा गया हर्ष का साजेन्द्र यादव भी सब इंस्पेक्टर को भती परीक्षा पास कर चयनित हो चुका है। मगर पुलिस मुख्यालय में उसने दस्तावेज जमा नहीं करवाए। ऐसे में एसओजो मान रही है कि राजेश यादव ने भी पेपर लीक कर या नकल कर सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पास की है। जिससे पूछताछ के बाद हो स्थिति साफ हो पाएगी। एसओजी की पूछताछ में सामने आया है कि सरगना हर्षवर्धन कुमार मीणा करीब तीन साल पहले पत्नी की जगह पर उभी कैंडिडेट बैठाकर पटवारी बना चुका। जो वर्तमान में भीलवाड़ा में कार्यरत हैं। आरोपी हर्षवर्धन व राजेन्द्र यादव के 20 से ज्यादा ऐसे परिजन, मित्र व रिश्तेदार है, जो पिछले 6-7 साल में नौकरी लगे हैं। पूछताछ में सामने आया कि इन लोगों को आरोपियों ने पेपर दिया या डमी कैंडिडेट बैठाया है।

कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा में हुई ये कार्रवाई

वहीं, एसओजी ने 2020 में चयन बोर्ड द्वारा आयोजित हुई कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई की है। पेपर लीक मामलों की जांच के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने बड़ा खुलासा किया। एटीएस एवं एसओजी के डीआईजी वीके सिंह ने बताया कि कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा का पेपर हायर सैकेंडरी स्कूल खातीपुरा के थर्ड ग्रेड टीचर राजेंद्र कुमार यादव ने लीक किया था।

एडीजी वीके सिंह के मुताबिक, गिरोह के सरगना हर्षवर्द्धन मीना और राजेंद्र यादव ने जयपुर के खातीपुरा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में तैनात तीसरे पाली में शिक्षक राजेंद्र कुमार यादव को पैसों का लालच दिया। गैंग लीडर के निर्देश पर राजेंद्र यादव ने परीक्षा से पहले स्कूल के स्ट्रांग रूम में रखे जेईएन भर्ती पेपर को शील्ड पैकेट पर कट लगाकर निकाल लिया और गैंग लीडर को बेच दिया। फिर अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर इस पेपर को लीक कर दिया गया।

7-8 साल से सक्रिय गिरोह

एसओजी के अनुसंधान में सामने आया कि ये गिरोह पिछले 7-8 साल में पेपर लीक और डमी केंडिडेट बैठाने के मामलों में सक्रिय था। ऐसे में इस दौरान हुई करीब एक दर्जन भतों परीक्षाओं में चयनीत सैकड़ों कर्मचारियों की भूमिका संदेह के धेरे में आ गई। एसओजी उन सभी कर्मचारियों को चयन की प्रक्रिया की जांच करेगी जो-जो इन आरोपियों के संपर्क में रहे हैं। इस पूरे प्रकरण की मॉनिटरिंग एएसपी रामसिंह शेखावत द्वारा की जा रही है।

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