राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान में अब कुछ ही दिन बाकी हैं और ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। पूरे प्रदेश में किसान और बेरोजगारी का सबसे बड़ा मुद्दा है। लेकिन चुनाव में इस बार प्रदेश में किसान और युवा ही तय करेंगे की राजस्थान में कौन राज करेगा।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों इस बार के विधानसभा चुनाव में किसानों पर नजर टिकाए हुए हैं। क्योंकि राजस्थान में किसान मतदाता काफी प्रभावी हैं और शहरी इलाकों में सिर्फ एक चौथाई लोग ही रहते हैं। राजस्थान में आधे से अधिक लोगों के पास खुद की कृषि भूमि है। इन लोगों के लिए कृषि पारिवारिक आय का एक महत्वपूर्ण घटक है। कृषि पर बढ़ती लागत और मुनाफा घटना किसानों के लिए संकट का सबब बन चुका है।
साथ ही किसान संकट को कम करने के लिए बीजेपी ने बाजरा का न्यूनतम मूल्य 1950 रुपये प्रति कुंटल कर दिया है। लेकिन किसान अभी खरीद कमजोर होने और भुगतान में देरी के चलते खुले बाजार में बाजरे को कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं। इसके चलते किसानों में काफी गुस्सा है। बीजेपी सरकार के लिए किसानों के गुस्से को काबू करना बड़ी चुनौती होती जा रही है। जबकि कांग्रेस के पास सत्ता में आने के लिए इसे भुनाने का मौका होगा।
इस बार चुनावों के मुख्य मुद्दे-
बेरोजगारी
इस बार बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। युवाओं का कहना है कि नई नौकरियां तो दूर सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भी भरने की कोशिश नहीं हो रही है।
रोजगार भत्ते का वादा
बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में रोजगार के 50 लाख अवसर उपलब्ध कराने और 21 वर्ष से अधिक उम्र के बेरोजगारों को पांच हजार बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है।
बुजुर्ग पेंशन का भरोसा
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को साधने के लिए पेंशन देने का भी भरोसा दिलाया है। खास बात ये है कि यह पेंशन बुजुर्गों को घर बैठे ही मिल जाया करेगा।