शरद पुरोहित,जयपुर। राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव अब 7 सीटों पर होगा। पहले यह संख्या 6 थी, लेकिन अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट के कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन के बाद अब यह बढ़कर 7 हो गई है। रामगढ़ के साथ अन्य 6 सीटों पर भी उपचुनाव होंगे।
रामगढ़ विधानसभा सीट खाली
अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन से उपचुनाव की संख्या बढ़ी है। जुबेर खान लंबे समय से बीमार थे, और उनके निधन के बाद यह सीट खाली हो गई। यह दूसरी बार है जब रामगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। 2018 में भी यहां उपचुनाव हुए थे। राजस्थान में 5 विधायकों के लोकसभा चुनाव जीतने से पांच सीटें पहले से ही खाली थीं। इसके बाद सलूंबर सीट से बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो गया था, जिससे उपचुनाव की सीटों की संख्या 6 हो गई थी। अब जुबेर खान के निधन से यह संख्या 7 हो गई है।
किन सीटों पर होंगे उपचुनाव
राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिनमें देवली उनियारा, दौसा, झुंझुनूं, चौरासी, खींवसर, सलूंबर, और रामगढ़ शामिल हैं। इनमें से 4 सीटें कांग्रेस के पास थीं, जबकि 2 पर भाजपा और 1 पर RLP का कब्जा था।
रामगढ़ में दूसरी बार उपचुनाव
रामगढ़ विधानसभा सीट पर यह दूसरी बार उपचुनाव हो रहा है। 2018 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह की चुनाव प्रचार के दौरान मौत हो गई थी, जिससे चुनाव स्थगित करना पड़ा था। अब जुबेर खान के निधन से यह सीट फिर से खाली हो गई है।
रामगढ़ के हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर चुनाव
रामगढ़ विधानसभा में चुनाव का प्रमुख मुद्दा हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण रहा है। यहां विकास से ज्यादा धर्म के मुद्दे पर चुनाव प्रचार होता है। इस विधानसभा में 266547 वोटर हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं।
कांग्रेस की लीड पर नजर
इन 7 सीटों में से 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था। अब देखना होगा कि कांग्रेस उपचुनाव में अपनी लीड बनाए रख पाती है या नहीं। वर्तमान में राजस्थान में भाजपा सत्ता में है, जिससे चुनावी मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।
रामगढ़ में भाजपा की चुनौती
2018 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी। इस बार भाजपा के लिए यह सीट चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर जब कांग्रेस ने पिछले चुनाव में यहां जीत दर्ज की थी।
राजस्थान के उपचुनाव में अब 7 सीटों पर मुकाबला होगा। इन सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी, और यह देखना होगा कि कौन सी पार्टी अपनी पकड़ मजबूत कर पाती है।