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प्रदेश में तबादलों को लेकर NSUI नेता निर्मल चौधरी ने उठाए सवाल, बोले- BJP एक जाति विशेष को शायद ‘भारतीय जनता’ नहीं मानती

प्रदेश में अब फिर से तबादलों पर प्रतिबंध लग चुका है लेकिन प्रतिबंध हटने के दौरान किए गए तबादलों पर को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।

चौक टीम, जयपुर। प्रदेश में अब फिर से तबादलों पर प्रतिबंध लग चुका है लेकिन प्रतिबंध हटने के दौरान किए गए तबादलों पर को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। NSUI नेता निर्मल चौधरी का आरोप है कि एक जाति विशेष को टारगेट करके तबादले किए गए हैं। इस संबंध में सोशल मीडिया पर ऐसी कुछ सूचियां भी डाली जा रही हैं, जिनमें तबादले किए गए कर्मचारियों को जाट बताया गया है।

निर्मल ने जाति विशेष को टारगेट करने का लगाया आरोप

दरअसल, तबादलों को लेकर एक वर्ग में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। वजह है कि हाल में तबादलों से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद उस जाति के कर्मचारियों को सबसे ज्यादा इधर-उधर किया गया है। NSUI नेता निर्मल चौधरी और सोशल मीडिया पर उनके समर्थक खुलकर यह आरोप लगा रहे हैं। बता दें राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और NSUI के नेता निर्मल चौधरी ने इस मामले में खुलकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी किसी एक जाति विशेष को शायद “भारतीय जनता” नही मानती, पर भारतीय जनता सब देख रही है।

बता दें सोशल मीडिया पर तारानगर में हुए तबादलों की एक सूची वाायरल की गई, जिसमें तबादला किए गए कर्मचारियों की जाति भी लिखी गई है। इसमें सभी कर्मचारी जाट बताए जा रहे हैं। इनमें से कइयों के तबादले सीमावर्ती जिले जैसमलेर और बाड़मेर तक भी किए गए हैं।

विधायक मुकेश भाकर ने भी उठाए सवला

वहीं लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने भी इस तरह के सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार में जो तबादले किए जा रहे हैं, उसमें एक वर्ग और धर्म को खासतौर पर टारगेट किया गया है, इसे लेकर उन्होंने जिला प्रशासन से भी शिकायत की है। मुकेश भाकर ने इस मामले में कहा कि यदि कोई कर्मचारी नॉन परफार्मर है, भ्रष्टाचारी है तो उसे आप बाहर निकालो लेकिन एक-एक विधानसभा से 100-100 लोगों को जातिगत आधार पर ट्रांसफर करके बाहर भेजा जा रहा है तो यह मैसेज ठीक नहीं जाएगा।

विधायक हरीश चौधरी ने दी ये नसीहत

इधर, बायतू से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी का कहना है कि अल्प वेतनभोगी सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ इसलिए इधर-उधर किया जा रहा है कि वे एक जाति से संबंधित हैं। मेरे विचार में यह उचित तो कतई नहीं है, मेरी विधानसभा में भी ऐसे कई मामले हैं। सरकार को इसे देखना चाहिए।

गौरतलब है कि बहुत से कर्मचारियों ने अपने तबादलों को लेकर मंत्रियों और विधायकों की डिजायर भी लिखवाई लेकिन ज्यादातर मामलों में ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर ही तबादले किए गए। यहां तक कि तबादलों को लेकर सरकार के कई मंत्रियों और अफसरों में कहासुनी होने की खबरें भी चर्चाओं में है।

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