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मेडिकल इंश्योरेंस को लेकर देश में आई नई नीति, 100% कैशलेस मेडिकल इंश्योरेंस सेटलमेंट की नई योजना होगी लागू, जानें

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देश में लगातार नई नई नीतिया लागू हो रही है. जहा अब एक नया बिमा आया है जो लोगो के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा, कोविड के बाद मेडिकल इंश्योरेंस की अहमियत बढ़ी है. अब लोग इसके प्रति जागरूक हुए हैं. हालांकि अभी लोगों के सामने एक बड़ी समस्या आती है. कि कैशलेस सेटलमेंट की सुविधा कम ही अस्पताल देते हैं. बीमा नियामक मेडिकल इंश्योरेंस खरीदने वाले लोगों की इस दिक्कत को सिरे से समाप्त करने की तैयारी में है. इरडा की नई योजना अमल में आती है तो पूरे देश में 100 फीसदी कैशलेस सेटलमेंट सुनिश्चित होगा.

इंश्योरेंस सेटलमेंट की सुविधा बहाल करने की तैयारी

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार. बीमा नियामक इरडा (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने देश भर के अस्पतालों में कैशलेस मेडिकल इंश्योरेंस सेटलमेंट की सुविधा बहाल करने की तैयारी की है. इसके लिए नियामक ने Committee on Common Empanelment Process of Hospitals and 100% Cashless को रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है. समिति को यह बताना है कि पूरे देश के अस्पतालों में कैशलेस सेटलमेंट को किस तरह से लागू किया जा सकता है.

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मेडिकल इंश्योरेंस खरीदने वाले इन 40 करोड़ लोगों को बड़ा फायदा होगा

अभी भारत में मेडिकल इंश्योरेंस रखने वाले लोगों की संख्या करीब 40 करोड़ है. अगर इरडा की नई योजना परवान चढ़ती है और इसे अमल में लाया जाता है. तो मेडिकल इंश्योरेंस खरीदने वाले इन 40 करोड़ लोगों को बड़ा फायदा होगा. इसके अलावा इरडा की यह व्यवस्था देश में मेडिकल इंश्योरेंस की लोकप्रियता और स्वीकार्यता को भी बढ़ा सकती है, जिससे ओरवऑल इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फायदा होगा. अभी देश में करीब 49 फीसदी अस्पताल ही कैशलेस सेटलमेंट की सुविधा देते हैं. ऐसे अस्पतालों की संख्या करीब 25 हजार है. इसमें भारत के सभी अस्पताल शामिल नहीं हैं. बल्कि यह आंकड़ा वैसे अस्पतालों का है, जो मेडिकल इंश्योरेंस के पैनल का हिस्सा हैं.

पॉलिसी होल्डर को पहले खुद से अस्पताल के बिल का पेमेंट करना होता है

आइये जानते है क्या होता है कैशलेस सेटलमेंट, दरअसल मेडिकल इंश्योरेंस कराने वाले लोगों को अभी दो तरह से कवरेज मिलता है. कैशलेस सेटलमेंट के मामले में बीमा कंपनी ही सीधे अस्पताल को भुगतान करती है. जहां यह सुविधा नहीं होती है, वहां पॉलिसी होल्डर को पहले खुद से अस्पताल के बिल का पेमेंट करना होता है. बीमा कंपनी बाद में पॉलिसी होल्डर को पेमेंट करती है.

अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद

इस तरह की व्यवस्था में ग्राहकों को कई बार परेशानियां होती है. वहीं ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जब लोग बीमा होने के बाद भी सही अस्पताल में नहीं जा पाते हैं, क्योंकि उनके पास कैश पेमेंट की व्यवस्था नहीं होती है. इरडा अब इसे ही दुरूस्त करने के प्रयास में है. ऐसे भी मामले कई बार सामने आए हैं, जिनमें सेटलमेंट को लेकर अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद हो गया है. इरडा की नई व्यवस्था ऐसे विवादों को भी दूर करेगी.

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