शरद पुरोहित,जयपुर। हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ दर्ज एसीबी (Anti-Corruption Bureau) एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर अब 2 सप्ताह बाद सुनवाई होगी। यह याचिका मेयर की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी, जिसमें एसीबी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई है।
कोर्ट में बहस के लिए समय मांगा
हाईकोर्ट में मुनेश गुर्जर के वकील दीपक चौहान ने कहा कि एसीबी ने मामले में चालान पेश कर दिया है और इससे संबंधित दस्तावेज अदालत में जमा कराए गए हैं। ऐसे में वकील ने बहस के लिए अदालत से समय मांगा। अदालत ने यह सुनवाई 2 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है।
निलंबन की तलवार अभी भी लटकी
एसीबी द्वारा चालान पेश होने के बाद मुनेश गुर्जर के निलंबन की संभावना बढ़ गई है। अगर कोर्ट से उन्हें राहत मिल जाती, तो सरकार के लिए उन्हें निलंबित करना मुश्किल हो जाता। लेकिन बहस के लिए समय मांगना चर्चा का विषय बन गया है, और उनके निलंबन का मामला अब लंबित हो गया है।
याचिका में क्या कहा गया?
मुनेश गुर्जर की याचिका में उनके वकील ने तर्क दिया कि एसीबी प्रार्थिया पर रिश्वत की मांग को साबित नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि एसीबी के पास न तो डिमांड का सबूत है, न ही कोई रिकवरी हुई है। एफआईआर में मेयर की भूमिका से संबंधित कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, जिससे पीसी एक्ट के तहत जरूरी शर्तें पूरी नहीं होती हैं। इस आधार पर याचिका में 6 अगस्त 2023 को दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है।
मेयर को गलत तरीके से फंसाया गया: याचिका
याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने पूर्व में इसी मामले की जांच की थी, लेकिन मेयर के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले थे। अगर साक्ष्य होते, तो उसी समय कार्रवाई हो जाती। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेयर को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और यह एफआईआर राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। शिकायतकर्ता ने मेयर के पति पर ही आरोप लगाए हैं, जबकि मेयर का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध इस मामले से नहीं है।