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26 साल की उम्र में बने थे सांसद, जानें डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बारे में और अधिक जानकारी

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राजस्थान में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर हुए लंबे मंथन के बाद आखिरकार शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गतिरोध खत्म करते हुए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री नामित किया। गांधी के आवास पर दो दिनों तक कई दौर की बैठकों के बाद मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के फार्मूले पर सहमति बनी जिसे पार्टी ने ‘अनुभवी और ऊर्जावान नेतृत्व का मेल करार दिया है।

राजस्थान के लिए पार्टी पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा,”कांग्रेस अध्यक्ष ने फैसला किया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे। इसके साथ सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने कहा, ”अनुभवी और ऊर्जावान नेतृत्व एक साथ आ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष इसमें विश्वास करते हैं। यह नेतृत्व पार्टी को मजबूत करेगा और राजस्थान के लोगों की अकांक्षाओं को पूरा करेंगे।

चार सालों तक जमकर मेहनतकी

राजस्थान विधानसभा चुनावमें कांग्रेस को मिली जीत का श्रेय काफी हद तक पार्टी की नई पीढ़ी के नेता सचिन पायलट को जाता है, जिन्होंने अपना ध्यान राष्ट्रीय राजनीति से हटा कर राज्य की चुनौतियों पर लगाया और जमीनी स्तर पर पार्टी को सींच कर उसकी जीत सुनश्चित की। पिछले लोकसभा चुनाव (2014)में कांग्रेस की हार होने पर उन्होंने यह संकल्प लिया था कि जब तक पार्टी सत्ता में नहीं लौटती वह साफा नहीं बांधेंगे। अब ऐसा लगता है कि वह साफा बांध सकते हैं। राजस्थान में 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त(भाजपा की 163 सीटों के मुकाबले महज 21 सीट) के बाद राहुल गांधी (वर्तमान पार्टी अध्यक्ष) ने राज्य की बागडोर पार्टी के दिवंगत नेता राजेश पायलट के बेटे सचिन को सौंपी थी। राजेश पायलट की 2000 में दौसा में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।  

यूपीए सरकार में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके सचिन ने यह चुनौती स्वीकार कर ली और अपना ध्यान राष्ट्रीय राजनीति से हटा कर राजस्थान की चुनौतियों पर केंद्रित किया। इसके बाद सचिन ने जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने और राज्य की सत्ता में उसकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए राज्य में पांच लाख किमी से अधिक की यात्रा की। उन्हें जनवरी 2014 में प्रदेश (राजस्थान) कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया।

सबसे कम उम्र में बने थे सांसद

वर्ष 2004 में अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र दौसा से 26 वर्ष की आयु में सांसद चुने गए सचिन संसद के सबसे युवा सदस्य बने थे। दूसरी बार वह 2009 में अजमेर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। दो बार सांसद रहे सचिन पायलट ने अपना पहला विधानसभा चुनाव दिसंबर में टोंक सीट से लड़ा और जीत हासिल की। पायलट ने इस चर्चित सीट पर भाजपा प्रत्याशी और वसुंधरा राजे सरकार में कदृावर मंत्री रहे युनुस खान को हराया। सचिन संप्रग सरकार में मंत्री और विभिन्न संसदीय समितियों के सदस्य रह चुके हैं। उन्हें 2008 में विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) ने यंग ग्लोबल लीडरों में भी चुना था।

विदेश में भी की पढ़ाई       

उनका जन्म सात सितंबर 1977 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रख्यातसेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की उपाधि हासिल की। उन्होंने बीबीसी के दिल्ली ब्यूरो में और फिर जनरल मोटर्स कॉरपोरेशन में काम किया। उन्होंने व्हार्टन बिजनेस स्कूल (पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय) से ‘बहुराष्ट्रीय प्रबंध एवं वित्त में एमबीए किया है।

अब्दुल्ला की बेटी सारा से की शादी

सचिन की शादी नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा से हुयी थी। उनके दो बेटे भी हैं।सचिन ने विमान उड़ाने के लिए ”पायलट का अपना निजी लाइसेंस 1995 में अमेरिका से हासिल किया था। उनकी खेलों में भी रूचि रहीहै और कई राष्ट्रीय शूटिंग प्रतिस्पर्धाओं में उन्होंने दिल्ली का प्रतिनिधित्व भी किया है।   

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