महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, ग्राम साथिन व आशा सहयोगिनी एक बार फिर से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर उतर चुकी है. प्रदेश भर से बड़ी संख्या में एकत्रित हुई इन महिला कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर धरना देकर अपनी 7 सूत्री मांगों को फिर से उठाया है. शहीद स्मारक पर धरना देने से पहले विभिन्न जिलों से एकत्रित हुई इन महिला कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर अपना रोष जताया. अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ एकीकृत के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की. तो वहीं अब शहीद स्मारक पर अनिश्चितकालीन धरने का ऐलान कर दिया गया है.
इन मांगों को लेकर दिया धरना
1- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, ग्राम साथिन व आशा सहयोगिनी कर्मियों को नियमित किया जाए
2- आंगनबाड़ी मानदेय कार्यकर्ता, सहायिका, ग्राम साथिन व आशा सहयोगिनी कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु बिना किसी विभागीय कमेटी के 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए
3- महिला पर्यवेक्षक आंगनबाडी कोटा में पदोन्नति अनुभव व वरीयता के आधार पर किया जाए
4- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत आंगनबाड़ी कर्मियों को योग्यता एवं अनुभव के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रशिक्षण/ब्रिज कोर्स विभागीय स्तर पर करवाकर पूर्व प्राथमिक शिक्षक (आंगनबाड़ी शिक्षिका) बनाया जाए
5- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, ग्राम साथिन व आशा सहयोगिनी कर्मियों के सेवा नियम बनाए जाएं एवं कर्मियों को सीपीएफ एवं पीएफ योजना से जोड़ा जाए
6- केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अनुरूप अकुशल, अर्धकुशल एवं कुशल कर्मचारियों को देय मानदेय 16 हजार 18 हजार, एवं 19 हजार 900 रुपये की नीति अनुसार राज्य में भी आंगनबाड़ी कर्मियों को मानदेय दिया जाए, केंद्र सरकार व हरियाणा सरकार की तर्ज पर मानदेय के अनुरूप मानदेय कर्मियों को राजस्थान में लाभ दिया जाए
7- मिनी आंगनबाड़ी केंद्र को जनसंख्या के आधार पर मुख्य आंगनबाड़ी केंद्र से जोड़ा जाए
कड़ाके की सर्दी में अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी
7 सूत्री मांगों को लेकर इससे पहले भी कई बार महिला कर्मचारियों का आंदोलन देखने को मिल चुका है. लेकिन हर बार आश्वासन के बाद इन महिला कर्मचारियों द्वारा अपने आंदोलन को स्थगित कर दिया जाता है. लेकिन इस बार महिला कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक इनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा उनका आंदोलन जारी रहेगा. कड़ाके की सर्दी में भी वह अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर डटी रहेंगी.