शरद पुरोहित, जयपुर। बारां जिले के शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र में सहरिया जनजाति के 172 बच्चों में कुपोषण की पुष्टि हुई है। जिला प्रशासन ने तुरंत इन बच्चों को कुपोषण उपचार केंद्रों (MTC) में भर्ती कराया, जिनमें से 25 बच्चों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
जिलाधिकारी रोहिताश्व सिंह तोमर ने बताया कि सहरिया जनजाति के अधिकतर परिवार प्रवासी मजदूर हैं, जिससे बच्चों की देखभाल में कमी हो जाती है। इससे बच्चे मौसमी बीमारियों का शिकार होते हैं और कुपोषण की चपेट में आ जाते हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
शाहाबाद और किशनगंज क्षेत्र में कुपोषण के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला अस्पताल और समरानियां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में MTC बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गई है।
ICDS की चुनौतियाँ
जिले में समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) विभाग के पास कर्मचारियों की भारी कमी है। जिले में बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) के आठ पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ दो अधिकारी काम कर रहे हैं। महिला पर्यवेक्षकों के स्वीकृत 51 पदों में से केवल 18 पर ही नियुक्ति हो पाई है।
राजनीति का हस्तक्षेप
इस मुद्दे ने सत्ताधारी और विपक्षी दलों का ध्यान खींचा है। किशनगंज से भाजपा विधायक ललित मीणा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नए MTC केंद्रों की स्थापना और सहरिया जनजाति के लिए योजनाओं में सुधार की मांग की है। कांग्रेस की पूर्व विधायक निर्मला सहरिया ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने जनजाति के लिए जरूरी योजनाएं बंद कर दी हैं।
कुपोषण की रोकथाम के प्रयास
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी शेख आरिफ इकबाल ने कहा कि सर्वेक्षण के बाद अधिकांश कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें उपचार दिया गया है, जिससे स्थिति अब नियंत्रण में आ रही है।