शरीद दिवस पर आज राजस्थान के करीब सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इस दौरान महात्मा गांधी के जीवन पर विभिन्न यूनिवर्सिटी में व्याख्यानमाला का भी आयोजन किया गया. इसी कड़ी में जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में व्याख्यान का कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसका विषय रखा गया “बापू के पदचिन्हों पर”
अहिंसक व्यवहार को ग्रहण करने का दिया संदेश
अहिंसक होना किसी व्यक्ति भी व्यक्ति की वीरता की सबसे बड़ी निशानी है. अहिंसक व्यवहार के लिए मानव समाज को प्रशिक्षित करना चाहिए. इससे समाज में अहिंसा की भावना को बढ़ाने का काम किया जा सकता है और इससे इसका प्रसार भी होगा. शहीद दिवस के मौके पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रो. अल्पना कटेजा ने यह बात कही. अल्पना कटेजा ने कहा कि गांधी के विचारों से मानव को प्रकृति के साथ समन्वय बैठाकर काम करना चाहिए. इसके साथ ही प्रकृति के साथ अगर अतिदोहन किया गया तो इसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ सकता है. साथ ही गांवों के विकास और सुधार पर ध्यान देकर गांवों को स्वावलंबी बनाकर ग्रामीणों की जीवन गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए.
आईएएस राजेन्द्र सिंह शेखावत ने रहे मुख्य अतिथि
जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आईएएस राजेंद्र सिंह शेखावत मौजूद रहे. आईएएस राजेन्द्र सिंह शेखावत ने वितरण की पारदर्शिता पर चर्चा करते हुए गांधी के विचारों की प्रासंगिकता पर जोर दिया. साधन और साध्य की पवित्रता की बात करते हुए राजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पेपर लीक जैसी समस्याओं का समाधान गांधी दर्शन के पास है. गांधी के अस्पृश्यता के उन्मूलन के विचारों का संविधान सभा पर गहरा प्रभाव पड़ा. जिसके परिणाम में हरेक भारतीय को उसका अधिकार मिला.
कुलपति रामसेवक दुबे ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता
संस्कृत यूनिवर्सिटी परिसर में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने गांधी दर्शन के अध्ययन और शोध की उपयोगिता पर बल दिया. इसके साथ ही कार्यक्रम का संचालन और संयोजन गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक शास्त्री कोसलेंद्रदास ने किया. व्याख्यान कार्यक्रम में शैक्षणिक परिसर निदेशक डॉ. विनोद कुमार शर्मा सहित शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहे.