चौक टीम, जयपुर। राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र बुधवार सुबह 11 बजे शुरू हुआ। हंगामेदार शुरूआत के बाद करीब 45 मिनट में ही सदन की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने सदन में जमकर नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस साल का पहला सत्र का कारण बताते हुए राज्यपाल का अभिभाषण न होने पर सवाल उठाए। साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा के बाद अब यहां भी हमारा माइक बंद किया जा रहा है।
इस तरह हुआ पूरा घटनाक्रम
दरअसल, राष्ट्रगान के तुरंत बाद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली खड़े हुए और राज्यपाल के अभिभाषण से सत्र का आगाज नहीं होने पर संविधान का उल्लंघन होने की बात कही। इस पर सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया। स्पीकर प्रो. वासुदेव देवनानी ने दखल देकर व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। संसदीय कार्यमंत्री जोराराम पटेल ने कहा कि किसी भी साल का पहला सत्र राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होता है, यह दूसरा सत्र है। इसलिए बिना राज्यपाल के अभिभाषण के सत्र का आगाज किया गया है।
इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से एक बार फिर नारेबाजी शुरू हो गई। इस बीच नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि लोकसभा में जिस तरह विपक्ष के नेताओं का माइक बंद किया जाता है। उसी तरह विधानसभा में भी उनका माइक बंद किया गया है। बाद में स्पीकर वासुदेव देवनानी की समझाइश से मामला शांत हुआ। इसके बाद विधानसभा में चुनकर आए नए सदस्य जयकिशन पटेल को शपथ दिलाई गई।
जूली ने विधानसभा में अनुच्छेद 176 याद दिलाया
टीकाराम जूली ने कहा कि नए सत्र का आगाज राज्यपाल अभिभाषण से होना चाहिए था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 16वीं विधानसभ के गठन के बाद प्रथम सत्र की शुरुआत 28 दिसंबर 2023 को हुई थी। प्रथम सत्र का सत्रावसान राज्यपाल महोदय की आज्ञा से 7 मार्च 2024 को हुआ था। संविधान के अनुच्छेद 176 की अनुपालना में प्रथम सत्र में राज्यपाल अभिभाषण 31 दिसंबर 1993 को कराया गया। जबकि, दूसरा सत्र कैलेंडर ईयर 1994 में जब बुलाया गया, तब सत्र की पहली बैठक 23 फरवरी 1994 को राज्यपाल अभिभाषण से की गई थी।
हंगामेदार रहा विधानसभा का पहला दिन
16वीं विधानसभा के इस दूसरे सत्र में विपक्षी दल के नेताओं ने सदन में जमकर नारेबाजी की और स्पीकर से ‘प्लास्टिक मुक्त राजस्थान’ की जगह ‘संविधान बचाने’ की शपथ दिलाने की मांग की। दूसरे सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण न होने पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए और इसे संविधान को चैलेंज करना करार दिया था। जिस पर स्पीकर वासुदेव देवनानी ने जवाब देते हुए कहा कि दूसरे सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण जरूरी नहीं है। यह जवाब सुनकर विपक्षी दलों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया।