चौक टीम, जयपुर। कांग्रेस ने राजस्थान लोकसभा की 25 सीटों में से 10 सीटों पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। जिसके बाद प्रदेश में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। प्रदेश की 8 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने है। इसके साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की कोटा सीट को लेकर चर्चा तेज हो गई है। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक किसी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस को कोटा से ओम बिरला का कोई तोड़ नहीं मिल रहा है। जिसे बिरला के कोटा में विकास कार्यों करवाने को लेकर देखा जा रहा है। आइए आपको बताते है कि कांग्रेस कोटा लोकसभा में पीछे क्यों?
बिरला के प्रयास से खुला पासपोर्ट ऑफिस
राजस्थान का दूसरा फुल फ्लेश एयरपोर्ट कोटा में संचालित किया जा रहा है। यहां पहले अस्थाई पासपोर्ट सेवा केन्द्र चला करता था, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष के प्रयास से यहां अब पासपोर्ट का सभी कार्य होने लगा है। यहां के लोगों को अब जयपुर जाने की आवश्यकता नहीं है, कोटा संभाग ही नहीं रावतभाटा, सवाईमाधोपुर, गंगापुर, चित्तौड़गढ़ सहित अन्य शहरों के लोगों को भी लाभ हो रहा है। कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र में बड़ी मांग किसानों की भी रही है। पूरा क्षेत्र कृषि क्षेत्र होने के साथ ही यहां पर पर्याप्त मात्रा में कई बार पानी उपलब्ध नहीं हो पाता, लेकिन ईआरसीपी परियोजना के तहत यहां भी अब खुशियाली की संभावनाएं जताई जा रही है।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे कोटा के लिए वरदान
इसके अतिरिक्त सबसे प्रमुख कोटा के लिए कोचिंग इंडस्ट्री है। कोचिंग इंडस्ट्री के तहत लाखों स्टूडेंट्स हर साल कोटा आते हैं। ऐसे में इस विषय पर भी सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से कोई बड़ा प्रोजेक्ट या इनकी सुख सुविधाओं के अनुसार सरकार के स्तर पर पॉलिसी बनाई जाने की भी आवश्यकता है। हालांकि, सरकार ने अभी नई पॉलिसी जारी की है, लेकिन उसका असर अभी देखने को नहीं मिल रहा है। वहीं दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे भी कोटा संभाग के लिए वरदान साबित होगा।
किसानों के खेत तक पहुंचेगा पानी- बिरला
हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोटा में 17 करोड़ लागत से कुल 107 कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ। उन्होंने कांग्रेस को लेकर निशाना साधा कि रामगंजमंडी की ताकली बांध के लिए कई वर्षों तक आवाज उठानी पड़ी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब हमारा एक ही लक्ष्य है कि हर किसान के खेत तक पानी पहुंचे। बिरला ने कहा कि पहले जो हमारे काम रोकते थे, अब उनको जनता ने रोक दिया है। आपके वोट की ताकत ने आपके दोनों जनप्रतिनिधियों को सामर्थ्य दिया है। रामगंजमंडी को शिक्षा के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी बनाएंगे. यहां के किसान और श्रमिक सशक्त बने इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
कोटा सीट कांग्रेस के लिए चुनौती
कोटा संभाग में लोकसभा की दो सीट आती हैं, जिसमें कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र और झालावाड़ बारां लोकसभा सीट है। यह दोनों ही सीट लंबे समय से बीजेपी के पास है। इसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है, जिसे भेद पाना कांग्रेस के लिए चुनौती होगी। कांग्रेस को दोनों ही सीटें जीतने के लिए लोहे के चने चबाने जितनी मेहनत करनी पड़ेगी, क्योंकि दोनों ही सीटों पर बड़े वोटों के अंतर से बीजेपी जीत दर्ज करती आई है। इसके साथ ही दोनों सीटों पर दिग्गज चुनाव लड़ते हैं, जिसमें कोटा बूंदी लोकसभा सीट से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला चुनाव जीतते आ रहे हैं।
बिरला का राजनीतिक कैरियर
ओम बिरला ने छात्र राजनीति से अपनी राजनीतिक करियर की शुरूआत की। वह 1979 में छात्र संघ के अध्यक्ष थे। छात्र राजनीति के बाद ओम बिरला भारतीय जनता युवा मोर्चा, कोटा के जिलाध्यक्ष बनाए गए। इतना ही नहीं उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा, राजस्थान का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने लगातार 6 साल तक प्रदेशाध्यक्ष के पद पर कार्य किया था। ओम बिरला अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
वहीं ओम बिरला ने 2003 में कोटा (दक्षिण) सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता। उन्हें 2008 में फिर से असेंबली चुनावों में जीत मिली और फिर वे 2013 में तीसरी बार विधायक बने। इसके बाद ओम बिरला कोटा निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं और 17वीं लोकसभा के लिए चुने गये हैं। इस प्रकार केवल दूसरी बार संसद सदस्य बनने पर ही उन्हें लोक सभा स्पीकर बनने का अवसर मिल गया है। वह 17वीं लोकसभा के 17वें लोकसभा अध्यक्ष बने। लोकसभा अध्यक्ष रहते हुए ओम बिरला भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व और पीएम मोदी की गुड बुक में शामिल हो गए। वर्तमान में बिरला पीएम मोदी की सबसे भरोसमंद व्यक्तियों में से एक हैं।
बिरला समाजसेवी के रूप में भी अपनी पहचान रखते हैं
ओम बिरला वसुंधरा राजे की सरकार में संसदीय सचिव रहते हुए गरीब, असहाय, गम्भीर रोगियों इत्यादि को राज्य सरकार से 50 लाख रुपये के लगभग आर्थिक सहायता दिलवाई थी। जिसके लिए उन्हें काफी सराहना भी मिली थी। साथ ही उन्होंने निर्धन, असहाय एवं जरूरतमन्द व्यक्तियों को निःशुल्क भोजन कराने हेतु सामुहिक प्रयासों से ”प्रसादम” प्रकल्प की स्थापना की। जन सहयोग से संचालित प्रकल्प के माध्यम से जरूरतमन्द व्यक्तियों की सेवा का उनका यह अभियान लगातार जारी है। वहीं, कोटा में बाढ़ पीड़ितों के बीच में रहकर राहत दल का नेतृत्व करते हुए पीड़ितों को बचाने, उन्हें आवासीय, चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने में उनका खास योगदान था।