Homeभारतराजस्थानखींवसर उपचुनाव: हनुमान बेनीवाल का दबदबा बरकरार, उम्मीदवार के चयन पर सस्पेंस

खींवसर उपचुनाव: हनुमान बेनीवाल का दबदबा बरकरार, उम्मीदवार के चयन पर सस्पेंस

हनुमान बेनीवाल के दबदबे वाले खींवसर में एक बार फिर उपचुनाव की तैयारी। 2023 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बेनीवाल ने लोकसभा सीट पर कब्जा किया। अब उपचुनाव में कौन बनेगा रालोपा का उम्मीदवार, इस पर सस्पेंस जारी।

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शरद पुरोहित,जयपुर। राजस्थान की खींवसर विधानसभा सीट पर हनुमान बेनीवाल का दबदबा पिछले 16 सालों से बना हुआ है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बेनीवाल ने चौथी बार विधायक बनकर यह साबित किया कि उनका राजनीतिक प्रभाव इस क्षेत्र में अटूट है। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर भाजपा की ज्योति मिर्धा को हराया।

बेनीवाल ने फिर से दोहराया चुनावी इतिहास

हनुमान बेनीवाल ने 2018 में खींवसर से विधायक बनने के बाद 2019 में लोकसभा चुनाव लड़कर सांसद की सीट पर कब्जा किया। इसके बाद उपचुनाव में अपने भाई नारायण बेनीवाल को उम्मीदवार बनाकर जीत हासिल की। अब 2023 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद, एक बार फिर उपचुनाव की तैयारी है, और सवाल यह है कि इस बार बेनीवाल किसे उम्मीदवार बनाएंगे।

खींवसर पर बेनीवाल परिवार का 16 साल का राजनीतिक दबदबा

2008 से अब तक खींवसर विधानसभा सीट पर बेनीवाल परिवार का राजनीतिक दबदबा बरकरार है:

  • साल 2008: हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के टिकट पर खींवसर से पहली बार जीत दर्ज की।
  • साल 2013: निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और फिर से विजय हासिल की।
  • साल 2018: अपनी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा), के बैनर तले चुनाव लड़कर तीसरी बार जीते।
  • साल 2019: उपचुनाव में भाई नारायण बेनीवाल को रालोपा के टिकट पर जीत दिलाई।
  • साल 2023: भाजपा के रेवंतराम डांगा को हराकर चौथी बार विधायक बने।

उपचुनाव में रालोपा और कांग्रेस के रिश्तों पर नजर

लोकसभा चुनाव के दौरान रालोपा और कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। लेकिन सांसद बनने के बाद हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के बीच कुछ मतभेद सामने आए। ऐसे में आगामी उपचुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों पार्टियां गठबंधन बनाए रखेंगी या अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी।

उम्मीदवार को लेकर अटकलें तेज

हनुमान बेनीवाल ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि खींवसर उपचुनाव में रालोपा का उम्मीदवार कौन होगा। राजनीतिक गलियारों में अटकलें हैं कि वे अपने भाई नारायण बेनीवाल या पत्नी को टिकट दे सकते हैं। हालांकि, बेनीवाल ने सार्वजनिक रूप से कई बार कहा है कि वे परिवार के बजाय किसी और उम्मीदवार को मौका देना चाहेंगे।

भाजपा की चुनावी तैयारियां

उपचुनाव में भाजपा ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी की ओर से यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा है, और भाजपा की रणनीति बेनीवाल के प्रभाव को कम करने पर केंद्रित है।

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