नई दिल्ली में आज 10वें इंटरपोल संपर्क अधिकारी सम्मेलन(ILO’s) का उद्घाटन केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन द्वारा किया गया। इस वर्ष की कॉन्फ्रेंस का आयोजन सीबीआई द्वारा किया गया है और इसका मुख्य विषय ‘अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन साझेदारी को मजबूत करना’ है। इस आयोजन में केंद्रीय, राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों की विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय पुलिस लायजन अधिकारियों ने भाग लिया।
अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग का महत्व
उद्घाटन सत्र के दौरान, केंद्रीय गृह सचिव ने अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेष रूप से तकनीक-सक्षम अपराधों से निपटने के संदर्भ में, जो अब सीमाओं तक सीमित नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा, “नए युग के अपराध जैसे साइबर वित्तीय अपराध, ऑनलाइन कट्टरपंथ और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध नेटवर्क, सीमाओं से परे फैलते हैं।”
प्रमुख विषय: आतंकवाद, साइबर अपराध और अन्य खतरों का मुकाबला
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने आतंकवाद, साइबर अपराध, ड्रग्स की अवैध तस्करी, हथियारों की तस्करी, और मानव तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अपराधियों और भगोड़ों को किसी भी देश में सुरक्षित ठिकाने नहीं मिलने चाहिए, और अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आपस में जुड़कर काम करना चाहिए।
भारत का इंटरपोल के साथ सक्रिय सहयोग
भारत की इंटरपोल में भूमिका को रेखांकित करते हुए, केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि भारत 1949 में इंटरपोल का सदस्य बना और तब से लेकर अब तक भारत ने इंटरपोल के कई आयोजनों की मेजबानी की है। हाल ही में, सीबीआई और यूरोपोल के बीच एक कार्य समझौता हुआ, और इंटरपोल ग्लोबल एकेडमी नेटवर्क से जुड़ने के लिए सीबीआई अकादमी ने अगस्त 2023 में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।
अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए पहल
सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद ने बताया कि 2023 में सीबीआई के ग्लोबल ऑपरेशन सेंटर ने 17,368 अंतर्राष्ट्रीय सहायता अनुरोधों को संभाला। 2024 में अब तक 19 भगोड़ों को भारत वापस लाया गया है। उन्होंने कहा, “आज अपराधी सीमाओं से बंधे नहीं हैं, और हमारे प्रयास भी सीमाओं में सीमित नहीं होने चाहिए।”
विशेषज्ञों का सम्मेलन
कॉन्फ्रेंस के दौरान एक विशेषज्ञ गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें जर्मनी, अमेरिका, जापान, यूके, चिली, और नेपाल की पुलिस एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी ने यह माना कि अपराध का वैश्वीकरण एक गंभीर चुनौती है और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।