राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागड़े ने बुधवार को जयपुर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के दीक्षांत समारोह में कहा कि भारत ज्ञान-विज्ञान में आरंभ से ही समृद्ध रहा है और विश्वभर में भारतीय ज्ञान परंपरा श्रेष्ठ रही है। उन्होंने छात्रों को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रहते हुए व्यापक अध्ययन करने और नए बदलावों के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी।
भारत में गुरुत्वाकर्षण और गणितीय खोजें वेदों में पहले से मौजूद
राज्यपाल बागड़े ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने दुनिया को दशमलव प्रणाली दी और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का उल्लेख वेदों में पहले से ही किया गया था। उन्होंने बताया कि न्यूटन द्वारा गुरुत्वाकर्षण की खोज किए जाने से बहुत पहले भारतीय ग्रंथों में इसका उल्लेख मिल जाता है।
प्राचीन भारत में विज्ञान और तकनीक की समृद्धि
राज्यपाल ने बताया कि भारत के ऐतिहासिक ग्रंथों में अनेक वैज्ञानिक आविष्कारों का वर्णन मिलता है। उदाहरण के लिए, महर्षि भारद्वाज के एक ग्रंथ में वायुयान निर्माण का उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 50 साल पहले इस ग्रंथ को प्राप्त करने के लिए भारत से अनुरोध किया था।
नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों का महत्व
राज्यपाल बागड़े ने कहा कि नालंदा और तक्षशिला जैसे महान विश्वविद्यालयों में पूरे विश्व से विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते थे। उन्होंने बख्तियार खिलजी द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय को जलाने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को नष्ट करने के कई प्रयास हुए, लेकिन यह परंपरा आज भी जीवित है।
विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के साथ जीवन कौशल भी सीखने पर जोर
राज्यपाल ने छात्रों को सुझाव दिया कि वे केवल पाठ्यक्रम की पुस्तकों तक सीमित न रहें, बल्कि जीवन से जुड़े व्यवहारिक ज्ञान और समकालीन परिवर्तनों को भी समझें। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता, और निरंतर अध्ययन से ही बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे विद्यार्थी जीवन में सफल हो सकते हैं।