भारत और कनाडा में अब संबंध बिगड़ते सा तोर पर नजर आ रहे है अभी हाल ही में भारत में जब g 20 समिट हुई थी उस दौरान से ही दोनों PM के रिश्तो में खटास आना शुरू हो आगयी थी, क्युकी आपको बता दे की कनाडाई प्रधानमंत्री चाहते थे की वो भारत के प्रधानमंत्री से द्विपक्षीय बातचीत कर सके पर इससे साफ़ तोर पर भारत के प्रधानमंन्त्री ने मना कर दिया था साथ ही आपको बता दे की जस्टिन ट्रूडो की ओर से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने संबंधी संगीन आरोपों के बाद दोनों देशों की सरकारों के बीच तल्खी बढ़ गई है।
दुनिया में भारत के बाद सबसे ज्यादा सिख कनाडा में ही रहते हैं
भारत सरकार ने ट्रूडो के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। दोनों देशों के बीच शुरू हुए इस विवाद से व्यापार ही नहीं, बल्कि कनाडा में बड़ी संख्या में रहने वाले भारतीय लोगों, खासकर पंजाबियों पर भी असर पड़ेगा। पूरी दुनिया में भारत के बाद सबसे ज्यादा सिख कनाडा में ही रहते हैं। कनाडा की कुल आबादी तकरीबन तीन करोड़ 82 लाख है और इनमें से 2.6% यानी 9 लाख 42 हजार 170 पंजाबी हैं। पंजाब के लोग न केवल कनाडा में नौकरी करते हैं, बल्कि वहां की बिजनेस कम्युनिटी में भी उनका अच्छा-खासा दबदबा है। खासकर एग्रीकल्चर और डेयरी फार्मिंग वगैरह में तो पंजाबी पूरी तरह डॉमिनेट करते हैं। पंजाबियों के अलावा कनाडा में दूसरे भारतीयों की भी अच्छी-खासी तादाद है।
भारत से हर साल हजारों स्टूडेंट्स भी कनाडा जाते हैं
हरियाणा, राजस्थान, यूपी, नई दिल्ली और दक्षिण भारत के कई राज्यों के लोग बड़ी संख्या में कनाडा में हैं। भारत से हर साल हजारों स्टूडेंट्स भी कनाडा जाते हैं। आइये इन सबसे पहले हम शमजते है की पूरा विवाद क्या है और कहा से कैसे शुरू हुआ। भारत और कनाडा के बीच ताजा विवाद की शुरुआत 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 समिट में भाग लेने पहुंचे कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के सामने उनके देश में बढ़ रही खालिस्तानी गतिविधियों का मामला उठाया। मोदी ने कनाडाई सरकार से उसकी धरती पर चल रही अलगाववादी गतिविधियां रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा।
हरदीप सिंह निज्जर कनाडा का नागरिक था
इस पर कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने मोदी से दो-टूक कह दिया कि भारत सरकार कनाडा के घरेलू मामलों और राजनीति में दखल ना दे। यही नहीं, ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को अपने देश का नागरिक बताते हुए मोदी के सामने उसकी हत्या का मामला भी उठाया। हालांकि भारत सरकार ने तब ट्रूडो की बात को खास अहमियत नहीं दी। G20 शिखर सम्मेलन के बाद कनाडा पहुंचते ही जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में बयान दिया कि हरदीप सिंह निज्जर कनाडा का नागरिक था और उसकी हत्या भारत सरकार ने करवाई है। इसके साथ ही कनाडाई सरकार ने एक भारतीय डिप्लोमैट को भी अपने देश से निकाल दिया। भारत सरकार ने कनाडा के इस कदम का कड़ा संज्ञान लेते हुए न केवल ट्रूडो के सारे आरोपों को खारिज किया बल्कि नई दिल्ली में मौजूद कनाडा के एक डिप्लोमैट को भी पांच दिन में देश छोड़ने के लिए कह दिया।
दोनों देशों के बीच होने वाला कारोबार प्रभावित हो सकता
अब समझिए दोनों देशों के बीच शुरू हुए इस विवाद के 3 बड़े असर क्या कुछ होंगे। 1. व्यापार में अरबों का नुकसान। दोनों देशों के बीच होने वाले ट्रेड से जुड़े आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वित्त वर्ष 2021-22 में दोनों मुल्कों के बीच 7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 के शुरुआती छह महीनों में ही दोनों देशों के बीच 8.16 अरब डॉलर का व्यापार हो चुका है। हालांकि G20 समिट के तुरंत बाद भारत और कनाडा के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चल रही बातचीत रुक गई है। मौजूदा तल्खी अगर लंबी खिंचती है तो दोनों देशों के बीच होने वाला कारोबार प्रभावित हो सकता है।
असर नवंबर-2017 के एक केस से समझा जा सकता है
2. कनाडा में पंजाबी किसान होंगे प्रभावित कनाडा के एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर और डेयरी फार्मिंग सेक्टर में पंजाबियों का पूरी तरह दबदबा है। कनाडा से खेती और बागबानी से जुड़े उत्पाद भारत सप्लाई होते हैं और इसका सीधा फायदा वहां रहने वाले पंजाबियों यानी भारतीयों को मिलता है। यदि भारत-कनाडा के संबंध बिगड़ते हैं तो इसकी सीधी मार इन्हीं भारतीयों पर पड़ेगी। इसका असर नवंबर-2017 के एक केस से समझा जा सकता है। उस समय भारत सरकार ने पीली मटर के इंपोर्ट पर अंकुश लगाने के लिए इस पर लगने वाले टैरिफ को 50% तक बढ़ा दिया था। इसका कनाडा में खेती करने वाले भारतीयों पर बुरा असर पड़ा और उन्हें अपना उत्पाद काफी कम कीमत पर पाकिस्तान को भेजना पड़ा।
कनाडा कभी नहीं चाहेगा कि उसकी यह इनकम खत्म हो
3. स्टूडेंट्स पर डिपोर्ट होने की तलवार। कनाडा में इस समय पंजाब के तकरीबन एक लाख 60 हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। ये सब स्टडी वीजा पर वहां गए हैं। अकेले पंजाब से हर साल औसतन 50 हजार युवा पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। ये नौजवान कनाडा और दूसरे मुल्कों में पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्चा निकालने के लिए वहां छोटा-मोटा काम भी कर लेते हैं। यदि प्रति स्टूडेंट 25 लाख रुपए भी फीस मानी जाए तो हर साल अकेले पंजाब से करीब 12,500 करोड़ रुपए विदेश जाते हैं। यह रकम वीजा फीस, कॉलेज फीस और विदेश में रहने के बदले में चुकाए जाने वाले टैक्स के रूप में भरी जाती है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा कनाडा को ही मिलता है। कनाडा कभी नहीं चाहेगा कि उसकी यह इनकम खत्म हो। हालांकि अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो कनाडाई सरकार भारतीय स्टूडेंट्स के लिए अपने नियम सख्त बना सकती है। इसमें उनका वीजा कैंसिल कर डिपोर्ट करना भी शामिल है।