चौक टीम, जयपुर। किसान आंदोलन का असर राजस्थान में भी दिख रहा है। यहां पंजाब, हरियाणा से सटे तीन जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही हाईवे को भी सील कर दिया गया है। भारी संख्या में पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा व विभिन्न संगठनों द्वारा अपनी मांगों को लेकर प्रस्तावित महापड़ाव को देखते हुए यह आदेश जारी किया गया है। वहीं दूसरी ओर कोटपूतली-बहरोड़ जिले के हरियाणा बॉर्डर शाहजहांपुर में किसान आंदोलन को लेकर पुलिस प्रशासन अलर्ट पर है।
दिल्ली जाने वाले बड़े वाहनों की नो एंट्री
दरअसल, बहरोड जिले के राजस्थान हरियाणा शाहजहांपुर बॉर्डर पर दिल्ली जाने वाले बड़े वाहनों की नो एंट्री कर दी गई है। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों की हलचल पर विशेष निगरानी रख सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रखने के निर्देश दिए हैं। वहीं कोटपूतली-बहरोड जिला पुलिस अधीक्षक रंजीता शर्मा पूरे मामले की अपडेट ले रही हैं।
बैरिकेडिंग के साथ-साथ कीलें भी बिछाई गई
किसानों की दिल्ली जाने की चेतावनी को देखते हुए बॉर्डर के कई क्षेत्रों में भारी पुलिस बल तैनात है। किसानों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग के साथ कीलें भी बिछाई गई हैं। दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे के शाहजहांपुर बॉर्डर पर भारी वाहनों को दिल्ली नहीं जाने के लिए कहा जा रहा है। यहां तैनात पुलिस अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि जरूरी होने पर ही दिल्ली जाएं।
पुलिस ने संभाला मोर्चा
एसपी शर्मा ने नीमराना डीएसपी अमीर हसन, शाहजहांपुर थानाधिकारी रामकिशोर शर्मा सहित पुलिस जाब्ते के साथ बॉर्डर एरिया का अवलोकन किया। साथ ही बॉर्डर एरिया के लिए जेसीबी, क्रेन और एम्बुलेंस सहित तत्कालीन सेवाओं का भी जायजा लेते हुए तैनाती को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
हनुमानगढ़-गंगानगर में किसानों और पुलिस में झड़प
हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में किसानों द्वारा पूर्व चेतावनी के अनुसार दिल्ली कूच को लेकर जब किसान गुरुद्वारे में अरदास के बाद टिब्बी के बाहर नाके पर हरियाणा बॉर्डर के लिए जाने के लिए निकले तो पुलिस के साथ हल्की झड़प और धक्का मुक्की भी हुई। पुलिस ने उन्हें मौके पर ही रोक लिया। वहीं गंगानगर के भी कई इलाकों में किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई।
गौरतलब है कि विगत किसान आंदोलन के समय हरियाणा के खेड़ा व शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों की ओर से हाईवे पर ही महापड़ाव डाला गया था। उस समय राज्य में कांग्रेस सरकार होने के चलते किसान आंदोलन को स्थानीय स्तर पर समर्थन भी मिला था। बॉर्डर पर किसानों का महापड़ाव रोकने को लेकर स्थानीय प्रशासन पूर्व से ही सजग रहते हुए सुरक्षा व्यवस्था सहित अन्य पहलुओं पर भी निगरानी रखे हुए हैं।