प्रदेश में 2019 से बुलडोजर कार्रवाई
जयपुर। एसएमएस स्टेडियम में आयोजित हुए राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पहले हम गुलामी में जीते थे, पहले सामंतशाही थी। हमारे सैनानियों की वजह से आजादी मिली और देश में संविधान लागु हुआ। इसके साथ ही उन्होंने देश में बढ़ रहे हिंसा के माहौल पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज महंगाई, बेरोजगारी है। शुभ दिन पर भी यह सब बोलना पड़ रहा है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सरकारों का ध्यान जाना जरूरी है। चाहे सरकार केंद्र की हो या राज्य की। हमारा एक संकल्प है कि आम आदमी को तकलीफ नहीं हो इसके लिए हम एक से बढ़कर एक योजना लेकर आए जो आज धरातल पर कारगर है।
मैं कोई बात बिना सोचे समझे नहीं बोलता
सीएम गहलोत ने प्रदेश में 5-5 साल बाद बदलती सरकारों के ट्रेंड को लेकर कहा कि मैंने जब मिशन 156 की बात की है तो कुछ सोच समझकर ही की होगी। ये सिलसिला टूटना चाहिए। मैंने लोगों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। चाहे मुझे 3 बार कोरोना हो गया। मैंने सारी पॉलिटिकल पार्टियों को साथ लेने का प्रयास किया। मैंने कोरोना में कोई भूखा नहीं सोना चाहिए इसके लिए प्रयास किया। निशुल्क भोजन, दवाईयां, इंजेक्शन फ्री दिए। मैं अंतिम सांस तक लोगों की सेवा करूंगा। मैं बिना सोचे कोई बात नहीं बोलता हूं। मुझे गॉड गिफ्ट है, मैं बोलता हूं तो दिल की आवाज जुबान पर आती है इसलिए बोल रहा हूं। उन्होंने सरकार के काम पर विश्वास जताते हुए कहा कि इस बार जनता हमारा साथ देगी। पहले एक बार कर्मचारियों ने नाराजगी व्यक्त की। चुनाव में हमें हरवा दिया। जब स्ट्राइक मैंने फेस की। 64 डेज की वो स्ट्राइक रखी, नो वर्क नो पे, बड़ा डिसीजन था, कुछ हमारी गलती भी रही। डायलॉग नहीं कर पाए हम लोग कर्मचारियों से। इसके बाद देश में मोदी की हवा चल पड़ी। उस दौरान हम लोग 21 सीटों पर आ गए। जबकि काम करने में उस वक्त भी कोई कमी नहीं रखी थी। उन कामों को याद करके ही सरकार वापस बनाई।
मोदी की हवा अब गायब
गहलोत ने कहा कि अब मोदी की हवा नहीं है। मेरी अंर्तआत्मा क्यों कहती है कि इस बार जनता मेरा साथ देगी। चाहे विपक्ष हमारी सरकार की कितनी ही कमियां बताए लेकिन जनता उनको स्वीकार करने वाली नहीं है। जनता मान रही है कि अब भाजपा की सरकार नहीं बननी चाहिए। अभी से केंद्र ने राजस्थान को टारगेट करना शुरू कर दिया है। कभी पीएम आ रहे हैं, कभी नड्डा आ रहे हैं। अभी मोहन भागवत भी यही हैं। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि इन्होंने एमपी, मुंबई, कर्नाटक कहीं की सरकारों को नहीं छोड़ा, अब यहां पर भी दबाव बना रहे हैं। हॉर्स ट्रेडिंग में इनकी मास्टरी की हुई है। ये सरकारें गिराने में माहिर हैं, लेकिन यहां इनकी मास्टरी चली नहीं। उन्होंने सरकार के एमएलए को बधाई देते हुए कहा कि वो मेरा साथ नहीं देते तो मेरी सरकार यहां टिकती नहीं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बचती ही नहीं तो हम फैसले कैसे करते। इस बार हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। पार्टी में एकता होगी। सब मिलकर मैदान में उतरेंगे तो मिशन 156 लागू होगा। उसमें हम कामयाब होंगे।
24 घंटे राजनीति करने वाले नेताओं में से में भी एक
सीएम गहलोत ने 24 घंटे राजनीति के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि मैं ही नहीं देश में ऐसे कई नेता हैं जो 24 हावर राजनीति करते हैं। ऐसे नेताओं में से में भी एक हूं। इसमें तो कोई दो राय नहीं क्योंकि राजनीति या कोई भी काम करो दिल लगाकर करना चाहिए। जब तक आप पागलपन की हद तक राजनीति नहीं करो, पागलपन की हद तक अपना काम-धंधा नहीं करो, पागलपन की हद तक आप व्यापार नहीं करो या उद्यम नहीं करो या पागलपन तक आप पत्रकारिता नहीं करो तब तक कामयाब नहीं हो सकते। किसी भी सफलता के लिए पागल बनना पड़ता है।
विपक्ष के पास मुद्दे नहीं
सीएम गहलोत ने राइट टू हैल्थ बिल को लेकर कहा कि भाजपा का विरोध प्राइवेट सेक्टर को खुश करने के लिए हो सकता है। हम खुद भी चाहेंगे कि प्राइवेट सेक्टर को भी विश्वास में लें। आखिरी में तो पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर मिलकर ही सेवा का जो संकल्प है उसे पूरा कर सकते हैं। सरकार निजी हॉस्पिटलों के खिलाफ नहीं है। उनके वाजिब कोई सुझाव होंगे तो उन्हें हम स्वीकार करेंगे। हम चाहेंगे कि सबको साथ मिलाकर काम करेंगे तभी तो ये कामयाब होगा। हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है कि राइट टू हैल्थ बिल लाएं और उसे थोप दिया जाए। इसे सबकी सहमति से ही लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास में आज कोई मुद्दे नहीं है। वो बौखलाए हुए हैं।
वसुंधरा के मामले में बोले गहलोत-ये उनका अंदरूनी मामला
वसुंधरा को भाजपा के पोस्टर होर्डिंगो में जगह देने को लेकर उन्होंने कहा कि यह उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है। तवज्जो दें, नहीं दें, वो उनके ऊपर है। चार साल हमने शानदार काम किए हैं। इस बार का बजट भी शानदार आएगा। हमारी योजनाओं को लेकर दूसरे राज्यों की सरकारें भी काम कर रही है। हमने ग्रामीण ओलंपिक करवाया। दूसरे राज्यों की सरकारों ने उसका स्वागत किया। हमारी चिरंजीवी योजना, उड़ान योजना, अनुप्रति योजना की खूब चर्चा हो रही है। हमने ओपीएस लागू किया। कई अर्थशास्त्री उसका विरोध भी कर रहे हैं। आधुनिक भारत जो बना है वह ओपीएस के साथ बना है। अब ओपीएस के बारे में इकोनॉमिस्ट अपनी-अपनी राय देते हैं, हो सकता है कि उनके आर्ग्यूमेंट्स में कोई बात हो, वो डिस्कशन करें हमारे अधिकारियों से, हम तैयार हैं कि उनसे डिस्कशन भी करें, हम उनका मार्गदर्शन लें क्योंकि बहुत बड़े इकोनॉमिस्ट के नाम आ रहे हैं, पर मेरा मानना है कि सोशल कमिटमेंट भी कोई चीज होती है, मानवता भी कोई चीज होती है और मानवीय दृष्टिकोण से भेदभाव क्यों हो? आर्मी में ओपीएस और बीएसएफ को ओपीएस नहीं, ये एक एग्जाम्पल ही सफिशिएंट है। उन्होंने कहा कि कभी भी सोशल सिक्योरिटी को मार्केट पर नहीं छोड़ना चाहिए।
मीडिया सबसे ज्यादा अन्याय मेरे साथ करता
सीएम गहलोत ने बजट घोषणओं को लेकर कहा कि आपके कोई सुझाव हो तो दे दीजिए उसे मैं मान लूंगा। पत्रकारों के कई काम मैंने बिना मांगे किए। उनके बच्चों का ध्यान रखा। पेंशन तक पत्रकारों को दी गई। उसके बाद भी मीडिया मेरे साथ ही सबसे ज्यादा अन्याय करता है। जितना महत्व मैं मीडिया को देता हूं उतना हिंदुस्तान में कोई नहीं देता होगा। वो हमारी स्कीम्स को, हमारी फेसलों को नहीं दिखाता। लोकल लेवल पर आप मुद्दे उठाते हो लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह मुद्दे उठाने चाहिए वो आप नहीं उठाते हो।
सीएम गहलोत ने मीडिया पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि यूपी में योगी ने बुलडोजर चलाया तो उसकी चर्चा देशभर में हो जाती है। मैंने किसी जगह पढ़ा था। प्रदेश में 2019 से बुलडोजर चल रहे हैं, लेकिन कभी यह चर्चा का विषय नहीं बनता। बुलडोजर धर्म के नाम पर चलता है तो उसकी चर्चा पूरे देश में हो जाती है। ये स्थिति अच्छी नहीं है। जो राज्य कोई किसी पार्टी का हो, कोई विज्ञापन दे या नहीं दे, कोई पैकेज दे या नहीं दे, मीडिया का पहला धर्म होना चाहिए कि वो ईमानदारी के साथ में, निष्पक्षता के साथ में सबके साथ न्याय करे। उसके बाद में उनको लगे कि कोई फेवर करना है कोई पैकेज के माध्यम से, तो वो एक विज्ञापन के रूप में कर सकते हैं, हमें ऐतराज नहीं है। हमारे यहां तो अन्याय ही हो रहा है। राजस्थान की सारी स्कीम्स मॉडल के रूप में हैं, अच्छा मेरा खुद का इंटरेस्ट नहीं है उसमें, मैं कुछ विज्ञापन खुद भी देता हूं राष्ट्रीय स्तर पर, इसलिए कि अगर देश के उन स्कीम्स को दबाव पड़ेगा वहां की जनता द्वारा वहां की सरकारों पर, तो कई लोगों का भला होगा देशवासियों का, यही मेरा एम रहता है। मैं उम्मीद करता हूं कि देश का मीडिया भी धीरे-धीरे गोदी मीडिया कहलाने लगा है। वो टैग अब हटना चाहिए।