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‘कांग्रेस गांधी परिवार के बाहर तलाशे लीडरशिप’, JLF में पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी बोलीं- मनमोहन सिंह को मिले भारत रत्न

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता के राजनीतिक जीवन के कई किस्से साझा करते हुए उनके इंदिरा और गांधी परिवार से रिश्तों के बारे में भी बताया.

चौक टीम, जयपुर। राजधानी जयपुर में चल रहे साहित्य के महाकुंभ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024 में आज यानि 5 फरवरी को जहां दिन के शुरुआती सत्र में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता पर लिखी उनकी किताब को लेकर चर्चा की. वहीं, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता के राजनीतिक जीवन के कई किस्से साझा करते हुए उनके इंदिरा और गांधी परिवार से रिश्तों के बारे में भी बताया.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 2018 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर आरएसएस मुख्यालय जाने के बाद का किस्सा भी सुनाया. इसके अलावा शर्मिष्ठा ने कांग्रेस के डाउनफॉल पर कमेंट करते हुए गांधी परिवार के बाहर नई लीडरशिप तलाशने पर भी अपनी सहमति जाहिर की.

मंत्री बने तो इंदिरा ने दी सूट पहनने की सलाह

प्रणब मुखर्जी की बेटी ने बताया कि उनके पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे और वे कपड़े तक इंदिरा गांधी को पूछकर पहनते थे. मुखर्जी ने बताया कि उनके पिता ने अपनी डायरी में उनकी राजनीति की यात्रा के बारे में काफी कुछ लिखा है. शर्मिष्ठा ने बताया कि जब उनके पिता मंत्री बने तो इंदिरा गांधी ने उन्हें धोती-कुर्ता छोड़कर सूट पहनने की सलाह दी थी.

मनमोहन सिंह को मिले भारत रत्न

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आगे कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत की इकोनॉमी को बेहतर करने में अहम योगदान दिया है और आज उन्हें भी भारत रत्न मिलना चाहिए. वहीं अपने पिता के साथ उनके रिश्तों को लेकर शर्मिष्ठा ने कहा कि वह उनका काफी सम्मान करते थे.

मुखर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मनमोहन सिंह प्रणब मुखर्जी को सर कहते थे और मुखर्जी ने इस पर कई बार आपत्ति जाहिर की थी लेकिन वह दोनों एक दूसरे का काफी सम्मान करते थे.

‘प्रणब दा कांग्रेस के हालत से परेशान थे’

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि प्रणब दा कांग्रेस के हालात से परेशान थे और कहते थे कि मैं भी हार्डकोर कांग्रेसी हूं. लेकिन मौजूदा हालातों से मुझे भी बहुत परेशानी होती है और यह हर कांग्रेसी नेता के मन में हालात है. इसके अलावा शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस को वर्तमान हालातों को देखते हुए अब गांधी परिवार के बाहर भी लीडरशिप की तलाश करनी चाहिए.

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