चुनावी दंगल में इन दिनों किसानों ने भी अपनी मांगो को पूरी करने के लिए जंग छेड़ दी है। रामलीला मैदान पर इक्कठा इन लोगो के बारें में ये ही कहा जा रहा था कि क्या ये संसद तक अपना पैदल मार्च कर पाएगें कि नहीं! आपको बता दें कि किसान मुक्ति मार्च के लिए जंतर-मंतर पर बने मंच से किसानों ने नेताओं पर जमकर निशाना साधा। इसी बीच सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि किसानों के साथ मोदी सरकार ने छल-कपट किया है। उन्होंने बताया कि 5 साल की सरकार होने के बावजुद मोदी सरकार ने किसानों के हित में कुछ भी नहीं किया है।
अब सरकार चाहती है कि इतना कुछ करने के बाद भी उन्हें ही वोट करना चाहिए। जो काम वो पिछले 5 साल में नहीं कर पाई वो 2022 तक भला इसे कैसे कर लेगी! किसान हमेंशा से अपने कर्ज और न्यूनतम आय को लेकर परेशानी में रहते है, लेकिन कभी भी सरकार ने उनका साथ नहीं दिया।
अंजान ने आगे कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार होने पर कई किसानों ने आत्महत्या की और मध्य प्रदेश में लंबे समय से भाजपा सरकार है और इस सरकार के होते हुए कई किसानों ने आत्महत्या की। इस तरह के कई मुद्धो के होने पर उन्होंने सरकार से मांग भी की है कि किसानों के कर्ज माफ किए जाएं और उन्हें लागत से डेढ़ गुणा ज्यादा मुआवजा दिया जाए।
किसानों के एकजुट होने का एक ही मुद्धा है कि उनका कर्ज माफ किया जाए। हम सभी किसान भाई सोई संसद को जगाने आए हैं।
आपको बता दें कि तीस हजार का कर्ज ना चुका पाने वाला किसान आत्महत्या कर रहे है, वहीं भाजपा तीन हजार करोड़ रुपये खर्च कर दफ्तर बनवा रही है। इसी के साथ उन्होंने किसानों के मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी की। देखना ये है कि चुनावी माहौल के दौरान क्या किसानों की इन मांगो को पूरा किया जाएगा या नहीं! क्या भाजपा अपने उपर लगाए इन आरोपों को किसानों के हित में कुछ नया करके हटा पाएगीं या नहीं।