चौक टीम, जयपुर। राजस्थान में राज्यसभा की कुल 10 सीटों में से 3 पर आगामी 27 फरवरी को चुनाव होंगे. साथ ही सभी राज्यों की 56 सीटों पर भी 27 फरवरी को चुनाव होना है. इसके लिए नामांकन 5 फरवरी तक भरे जाने हैं. भाजपा व कांग्रेस, दोनों दलों की विधानसभा सीटों के गणित के आधार पर भाजपा को तीन में से दो और कांग्रेस को एक सीट मिलना निश्चित है. लेकिन, भाजपा तीनों सीटों पर प्रत्याशी खड़े कर मतदान कराने की स्थिति बना सकती है. चुनाव को लेकर दोनों दलों में सुगबुगाहट तेज हो गई है.
10 में से तीन सीट हुई खाली
राजस्थान से राज्यसभा सांसदों की कुल 10 सीटों में से कांग्रेस के मनमोहन सिंह और भाजपा के भूपेंद्र यादव का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त होना है. तीसरी सीट डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफा देने से खाली हुई है. शेष 3 सांसदों का कार्यकाल जून 2026 और 4 का कार्यकाल जुलाई 2028 में पूरा होगा.
भाजपा इनको उतारेगी मैदान में
ओमप्रकाश माथुर– पहले भी राजस्थान से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. छत्तीसगढ़ में बतौर प्रभारी विधानसभा चुनाव में अच्छा परिणाम लाए. लगातार अच्छे काम के चलते भाजपा फिर से राज्यसभा पहुंचा सकती है.
राजेंद्र राठौड़– इस बार विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन लगातार 7 बार जीते हैं. लंबा सियासी अनुभव है. संसदीय कार्यों और प्रणाली की समझ में अन्य कई नेताओं से आगे हैं. कयास हैं कि राज्यसभा में नहीं भेजा तो पार्टी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है.
सतीश पूनियां– भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं, राज्यसभा में मौका नहीं मिला तो लोकसभा चुनाव में अजमेर, जयपुर ग्रामीण या अन्य किसी सीट से उतारने की भी अटकलें हैं.
अलका गुर्जर– राष्ट्रीय सचिव व दिल्ली को सह प्रभारी हैं. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी इन्हें राज्यसभा में भेजकर गुर्जर व महिला मतदाताओं को साध सकती है. अलका को भी राज्यसभा व लोकसभा दोनों चुनाव में प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है.
भूपेंद्र यादव– अटकलें हैं कि भाजपा इन्हे राज्यसभा अथवा अलवर से लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है.
कांग्रेस में इन नामों की अटकलें
कांग्रेस गांधी परिवार के किसी सदस्य को राजस्थान से राज्यसभा में भेज सकती है. इनमें सर्वाधिक चर्चा सोनिया गांधी की है, जो रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ती रही हैं.
सोनिया के बाद चर्चा में पहला नाम अभिषेक सिंघवी व दूसरा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन का है. डूंगरपुर के दिनेश खोड़निया भी प्रयासों में हैं. लेकिन, माना जा रहा है कि दिल्ली से आने वाले नेताओं की सूची लंबी है, नाम आलाकमान से ही आना तय है.