Homeमुख्य समाचारराजनीतिबजट पर चर्चा के दौरान बोले पूनिया, कांग्रेस का किसानों का कर्जा...

बजट पर चर्चा के दौरान बोले पूनिया, कांग्रेस का किसानों का कर्जा माफ करने का वादा माधुरी दीक्षित की तेजाब फिल्म जैसा

जयपुर। बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की जगह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने अपनी बात रखी। पूनिया ने कहा कि बजट की बहस में नेता प्रतिपक्ष के नाते सदन की गरिमा गुलाबचन्द कटारिया बढ़ाते थे। जिनका इस सदन में और राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा लंबा अनुभव रहा। मैं मानता हूं कि यह हम सबका और सदन का सौभाग्य है, राजस्थान की राजनीति में काम करने वाले उन कार्यकर्ताओं का सौभाग्य है कि वह सर्वोच्च संवैधानिक पद पर विराजेंगे। मैं, कटारिया साहब को सदन की ओर से बहुत शुभकामनाएं और बधाई देता हूं।

संयुक्त राष्ट्र में पढ़ा गलत भाषण

पूनिया ने कहा कि 12 फरवरी, 2011 को तत्कालीन यूपीए की केन्द्र सरकार के विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र संघ में भाषण दे रहे थे। भाषण देते-देते पता लगा कि पुर्तगाल का भाषण पढ़ दिया। दुनिया के इतने बड़े मंच पर मंत्री को यह अहसास नहीं हुआ कि यह भाषण भारत का नहीं था, पुर्तगाल का था, जो वह 3 मिनट तक पढ़ते रहे। अब यदि इसे मानवीय भूल कहा जाये, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर वह क्षम्य नहीं होती हैं। बजट सरकार का एक गोपनीय दस्तावेज होता है। जिसकी एक मर्यादा होती है लेकिन मैं देख रहा था, विचित्र तरीके से राजस्थान की सरकार का यह बजट कुछ अनूठा था। मुझे बताया गया कि जगह-जगह देखा, बचत, राहत और बढ़त। सवा करोड़ रुपये उन विज्ञापनों में खर्च किए गए। यह भी जानकारी मिली खोजते-खोजते कि कोई पीआर एजेंसी ने भी छवि चमकाने का भरपूर प्रयास किया।

राजस्थान में इस समय जो सबसे ज्यादा चर्चित है और दंश है, वो पेपर लीक का है। पेपर लीक के गिरोह का प्रभाव कितना है कि उसने राजस्थान के बजट को भी लीक कर दिया। 3 लाख 90 हजार करोड़ रुपये का यह बजट, 32 हजार करोड़ रुपये का घाटा, 65 हजार करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा लेकिन पूरे कर्ज का उल्लेख करेंगे, 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का घाटा, यह ऐसा लगता है कि चार्वाक ने जो कहा, वो आप पर लागू होता है। ज राजस्थान में कोई बच्चा पैदा होगा तो उसकी लाइबिलिटी 90 हजार रुपये होगी, उसका कर्जा 90 हजार रुपये होगा। इसलिए यह बजट जिसके बारे में पहले बहुत प्रचारित की गई चीजें, एक जन घोषणा पत्र था जिसकी क्रियान्वितिकी रिपोर्ट पेश की गई, उसके बाद मॉडल स्टेट का विज्ञापन था, उसके बाद अलग-अलग स्कीम्स के इस तरीके के फोल्डर्स बांटे गए।

किसी भी प्रदेश की शांति का कारक होता है, राजनीतिक स्थिरता। इस राजस्थान को पिछले चार वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता के दौर में डालने का दोषी कोई है तो यह राजस्थान की कांग्रेस पार्टी की सरकार है। दुख में सब याद करते हैं। हम दुख में या तो भगवान को याद करते हैं या राज को याद करते हैं, मेरे राजनीतिक जीवन में मैंने इस तरह का दृश्य नहीं देखा कि जब कोविड जैसी महामारी का संकट था और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश के वैज्ञानिकों ने 9 महीने के भीतर देश की दो-दो स्वदेशी वैक्सीन बनाई और देश के लोगों को 230 करोड़ वैक्सीन लगी। मैं राजस्थान के उन लोगों का भी अभिनन्दन करूंगा कि राजस्थान के 5 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को ये वैक्सीन लगी और उनको सुरक्षा मिली।

कोविड के कालखण्ड में भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा हुई। लेकिन राजस्थान इस बात के लिए भी बदनाम हुआ कि सबसे ज्यादा वैक्सीन कहीं बरबाद हुई तो राजस्थान में हुई। वैंटीलेटर्स बरबाद हुए तो राजस्थान में हुए। और तो और प्राइवेट हॉस्पिटल्स को किराये पर दे दिये गये। यह मैं नहीं कह रहा, यह पब्लिक डॉमेन में है। इस कांग्रेस सरकार के पूरे कालखण्ड पर जो सबसे बड़ा कलंक है, वह है तुष्टीकरण का, गैंगवार का, बलात्कार का। आपने कह दिया, बलात्कार के 47 प्रतिशत मामले फेक हैं, लेकिन आपकी नाक के नीचे एसएमएस हॉस्पिटल के बाहर एम्बुलेंस में कोई भीख मांगती अबला की अस्मत लूट ली जाती है, उसके साथ गैंगरेप होता है। क्या आप उसे फेक बताएंगे? आपने वह दृश्य सीकर में भी देखा होगा। 16 साल की बेटी अपनी गोद में अपने मृत बाप का शरीर लेकर रो रही थी, बिलख रही थी। इस गैंगवार का जिम्मेवार कौन है? इस गैंगवार को पनपाने का दोषी कौन है?

दस दिन में पूरा कर्जा माफ कर देंगे। माधुरी दीक्षित की तेजाब फिल्म के गाने की तरह गिनती गिना रहे हैं- एक, दो, तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ, दस, ग्यारह। 1500 से भी ज्यादा दिन हो गये, यदि इसमें सच्चाई होती तो राजस्थान के 18 हजार किसानों की जमीनें नीलाम कैसे होतीं? अब आप कानून बना रहे हैं। 200 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं कीं। आपने वह भी देखा होगा कि रायसिंहनगर के ठाकरी गांव के सोहन लाल कडेला ने लाइव वीडियो जारी किया और आत्महत्या करते वक्त कहा कि मैं कर्जे के कारण तंग होकर आत्महत्या कर रहा हूं।

दुष्यंत कुमार की कविता के साथ बजट पर चर्चा की समाप्त। कहा-

कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए,
कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए,
कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए,
मुझे लगता है कि इसके दोषी कोई है तो,
अब तो इस हाथ को बदल दो यारो,
ये हाथ अब बस्ती जलाने लगे हैं,
ये हाथ अब बस्ती जलाने लगे हैं।

- Advertisement -spot_img

Stay Connected

Must Read

Related News

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here