चौक टीम, जयपुर। दुनिया में भारतीय होम्योपैथिक पद्धति को पहचान दिलाने वाले आगरा के 91 वर्षीय डॉ. राधेश्याम पारीक को पद्मश्री सम्मान मिला है। उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में एक छोटे क्लीनिक से होम्योपैथी पद्धति से मरीजों का इलाज करना शुरू किया था। उन्होंने रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद कैंसर सहित अन्य बीमारियों का होम्योपैथी से इलाज पर शोध किया। आपने इंग्लैंड, अमेरिका, रूस सहित कई देशों के डाक्टरों को होम्योपैथी में सर्टिफिकेट कोर्स कराना शुरू किया। बीते 70 वर्ष से डॉ. आरएस पारीक होम्योपैथी पद्धति से मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
1933 में जन्मे डॉ. राधेश्याम मूलतः राजस्थान के नवलगढ़ में हुआ। आपने 21 वर्ष की उम्र में आगरा के बेलनगंज में एक छोटे क्लीनिक से अपनी होम्योपैथी की प्रैक्टिस शुरू की थी। तब होम्योपैथी के बारे में लोग जानते नहीं थे। आपने होम्योपैथी से चर्म रोग सहित कई बीमारियों का इलाज किया। आपके पास तमाम ऐसे मरीज आए, जो एलोपैथी दवा से बीमारी ठीक नहीं होने पर उनसे इलाज कराने आए।
1956 में किया था लंदन से रिसर्च
डॉ. आरएस पारीक ने सन 1956 में रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पारीक होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर शुरू किया। आपने देश और विदेश के मरीजों का इलाज शुरू किया। उनके सेंटर पर मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण कैंसर, चर्म रोग सहित गंभीर और सामान्य बीमारियों पर भी शोध करना शुरू किया। केस स्टडी को विदेशों में होने वाली कार्यशाला में प्रस्तुत किया।
इससे दुनिया भर में भारतीय होम्योपैथी पद्धति को अलग पहचान मिली और विदेश से डॉक्टर्स प्रशिक्षण लेने के लिए उनके सेंटर पर आने लगे। देश भर से मरीज भी उनसे इलाज कराने के लिए आते हैं.। डॉ. पारीक ने होम्योपैथिक से कैंसर का उपचार पर जर्मन भाषा में पुस्तक लिखी है। वे हर साल 50 विदेशी चिकित्सकों को होम्योपैथिक पद्धति से उपचार भी सिखाते हैं।
1957 में लंदन में पहली विश्व कांग्रेस में भाग लिया
1957 में लंदन में अपनी पहली विश्व कांग्रेस में भाग लिया था। आप पानी के जहाज से इंग्लैंड पढ़ने गए थे। सन 1956 में होम्योपैथी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सन 1957 में लंदन में अपनी पहली विश्व कांग्रेस में भाग लिया। अभी तक आपने विदेशों के सम्मेलनों में 117 से अधिक मूल शोध और केस स्टडी पेपर प्रस्तुत किए हैं। होम्योपैथी में उनका अभूतपूर्व योगदान उन्हें दुनिया भर में सबसे सम्मानित शिक्षकों में से एक बनाता है
वह सरकारी विश्वविद्यालय से चिकित्सा के लिए मानद डीएससी (कॉसा ऑनोरिस) प्राप्त करने वाले एकमात्र होम्योपैथ चिकित्सक हैं। उन्हें टुबिंगन, जर्मनी में हैनिमैन पुरस्कार सहित असंख्य पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। पेरिस में विश्व सम्मेलन में होम्योपैथिक प्रैक्टिस में उनकी 60वीं हीरक जयंती के लिए विशेष सम्मान, कई मीडिया हाउसों द्वारा सिटीजन ऑफ द ईयर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
डॉ. आरएस पारीक ने होम्योपैथी से भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का भी इलाज किया था। उन्होंने 1957 में आगरा में पारीक होम्योपैथिक सेंटर की स्थापना की। वे प्रतिदिन लगभग 300 मरीज और प्रति वर्ष 84,000 मरीज संगठन के तहत विभिन्न क्लीनिकों और अस्पतालों से होम्योपैथिक उपचार प्रदान करते हैं।
70 वर्षों से होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप मे सेवाएं दे रहे हैं
मानव सेवा के साथ गोसेवा में भी श्रद्धाभाव डॉ. आरएस पारीक बीते 70 वर्षों से होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप मे सेवाएं दे रहे हैं। इस दौरान उनके मरीजों में देश के प्रसिद्ध राजनेता, न्यायाधीश, न्यायमूर्ति, उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों के साथ-साथ देश के आम नागरिक सम्मिलित हैं। आप एक चिकित्सक के समाज सेवक के साथ ही गौ सेवा बहुत श्रद्धाभाव से करते हैं।
डॉ पारीक के तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनके बेटा डॉ. आलोक पारीक और डॉ. राजू पारीक हैं। डॉ. आलोक जी इंटरनेशनल होम्योपैथी संघ के पहले भारतीय अध्यक्ष बने। जबकि डॉ. राजू पारीक की सर्जन हैं। उनके बड़े पौत्र डॉ. प्रशांत पारीक भी सर्जन हैं। छोटे पौत्र डॉ. आदित्य पारीक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। वह अमेरीका से प्रकाशित होने वाले द होम्योपैथी फिजिशियन जर्नल के सम्पादकीय मंडल के सदस्य हैं। उनकी दोनों पौत्र वधु प्रियंका और नितिका भी चिकित्सक हैं।
डॉ राधेश्श्याम का गोवर्धन से विशेष रिश्ता है। आप प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे गुरुवार को भगवान कृष्ण के भक्तों एवं राधा कुंड क्षेत्र मे रहने वाली संन्यासी माताओं का निशुल्क इलाज विगत कई वर्षों से कर रहे हैं। इसका प्रेरणास्रोत वे अपने आध्यात्मिक गुरु श्रद्धेय गया प्रसाद को मानते है। आपके सपुत्र डॉ. आलोक को होम्योपैथी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए यश भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने कैंसर, किडनी और लिवर पर काफी शोध किए हैं। उनके इस संबंध में लगभग 100 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। बाग फरजाना निवासी नामचीन होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. आलोक पारीक को 2016 में यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डॉ. आरएस पारीक कहते हैं कि, डॉक्टर की एक मुस्कान से मरीज की आधी बीमारी गायब हो जाती है, डॉक्टर के प्रेम से मरीज का हाल पूछने भर से मरीज खुद को दुरुस्त समझने लगता है। डॉ. आरएस पारीक ने मरीजों से आत्मीय रिश्ता बनाया है। दुनिया के लगभग सभी प्रमुख देशों में व्याख्यान के लिए आमंत्रित किए जा चुके है। उन्हें देश के साथ ही विदेश में भी कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
सीएम योगी आदित्यनाथ का भी इलाज कर चुके हैं
सीएम योगी आदित्यनाथ के बाएं हाथ में एलर्जी हो गई थी, ये बात सन 2021 की है। उसी साल अगस्त माह में जब सीएम योगी आगरा आए तो खेरिया एयरपोर्ट पर डा. आरएएस पारीक उनसे मिलने पहुंचे, वीआईपी लाउंज में सीएम का हाथ देखा। पांच मिनट चर्चा के बाद डॉ. आरएस पारीक ने सीएम योगी को 15 दिन की होम्योपैथी दवा दी, कहा कि इतने दिनों में सब ठीक हो जाएगा। इसके साथ ही पूर्व रक्षामंत्री एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी डॉ. पारीक के मुरीद रहे, वे जब भी आगरा आते थे, तब डॉ. पारीक से मिलते थे। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी आगरा आने पर डॉ. पारीक से भेंट करते रहे हैं।
डॉ आरएस पारीक की पुस्तक ‘होम्योपैथी फॉर एक्यूट्स एंड इमरजेंसीज’ में पूरी जिंदगी की मेहनत का निचोड़ है। पुस्तक में ब्रेन हैमरेज, बेहोशी, उल्टी दस्त, मानसिक विकार, एक्यूट पेन, किडनी व लीवर से संबंधित बीमारी व जोड़ों में दर्द से निजात के तरीके बताए गए हैं। साथ ही कौन सी दवा मरीजों को फायदा करेगी, इस विषय में भी बताया गया है। उनके पुत्र डॉ. आलोक पारीक कहते हैं कि, इमरजेंसी में एलोपैथ की तरह ही होम्योपैथी भी इलाज करती है। खास बात यह है कि, होम्योपैथी के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं।