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डॉ देंवेंद्र शर्मा बोले रोबोटिक सर्जरी है मेडिकल इनोवेशन, कुशल सर्जन बचा रहे इससे इंसानी जान

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तरुणा व्यास। चौक मीडिया। जयपुर। राजस्थान विश्व में मेडिकल हब के रुप में अपनी पहचान स्थापित करता जा रहा है। इसमें भी मेडिकल इनोवेशन में उभरता हुआ नाम है ‘रोबोटिक सर्जरी’। रोबोटिक सर्जरी कम से कम दर्द, न के बराबर रक्त स्त्राव और ऑपरेशन के तुरंत बाद दैनिक गतिविधियों के संचालन में मरीज के लिए मददगार बनकर उभरी है।

सर्जरी के लम्बे अनुभव और उच्च स्तरीय कुशलता के बाद ही चुनिंदा चिकित्सक इस नई पद्धति ‘रोबोटिक सर्जरी’ में महारत हासिल कर पाते हैं। ऐसे ही एक विश्वसनीय नाम और नामचीन चिकित्सक सर्जन है डा. देवेन्द्र शर्मा। राजस्थान चौक ने डा. देवेन्द्र शर्मा से बातचीत कर समझा रोबोटिक सर्जरी और उनके जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं को।

सवाल:- शुरूआती जीवन कैसा रहा।

जवाब:- राजस्थान की सीमेंट नगरी लाखेरी में मेरा जन्म हुआ। पांच भाइयों और एक बहन सहित भरेपूरे संयुक्त परिवार में पला बढ़ा हूं। बचपन में आज की तरह सुख सुविधाओं की जगह संघर्ष, सीमित संसाधन और कड़ा अनुशासन पाया। मेरे पिता ने अपनी कमरतोड़ मेहनत से हम सभी भाई बहनों की शिक्षा में कोई कमी नहीं रखी। खासतौर पर स्कूली शिक्षा के बाद उच्चत्तर शिक्षा संस्थान में सीमित आर्थिक संसाधनों के साथ प्रवेश लेना चुनौतीपूर्ण था। माता ने हमे अनुशासित और संस्कारित शिक्षा देने और परिश्रम से नहीं घबराने की सीख दी। जो आज भी कार्य जीवन और पारिवारिक जीवन की अहम धुरी बनी हुई है।

सवाल:- चिकित्सक बनना है कब सोचा।

जवाब:- यह थोड़ा भावनात्मक और मां से लगाव वाला सवाल है। बचपन में एक बाद माता जी बीमारी होने पर चिकित्सक को दिखाने ले गई थी, वहां लंबी लाइन के दौरान सामने आने वाली पीड़ा ने एक मांग के मन को मजबूत कर दिया था कि बच्चे के भविष्य के सेवा भाव को किस ओर ढालना है। मां ने उस समय मन ही मन ठान लिया था कि अपने बेटे देवेंद्र को चिकित्सा सेवा क्षेत्र में डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा में भेजना है। मुझे खुशी है कि मैं अपनी शिक्षा के दम पर मां के देखे गए सपने को पूरा कर पाया।

सवाल:- एमबीबीएस की तैयारी के लिए क्या कोचिंग संस्थान की मदद ली।
जवाब:- नहीं। यह कोचिंग वगैरह तो अब अधिक होने लगी है। मैंने बिना किसी ट्यूशन, कोचिंग और अन्य कोई मदद लिए वर्ष 1990 में जोधपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश लिया था। उसके बाद जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज से एमएस करने के बाद यूरोलॉजी में रिसर्च करने के लिए गुजरात के नाडियाद शहर का रुख किया। पढाई की ललक अब भी बनी हुई है। वष 2005 में M. CH. और इसके बाद डीएनबी किया। इसी के साथ दूनिया के विभिन्न देशों में कई कांफ्रेंस में भाग लेकर चिकित्सा जगत में ज्ञान, तकनीक, नवीन कौशल का आदान प्रदान किया।

सवाल:- रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में कब से सक्रिय हुए।
जवाब:- शिक्षा, शोध और कुछ नई तकनीकों के बारे में जानने की ललक ने रोबोटिक सर्जरी परिचय करवाया। विश्व के कई देशों में इसका उपयोग हो रहा था, भारत में यह शुरूआती स्टेज में था। शरीर में न्यूनतम प्रविष्ठ होने वाली इस तकनीक से शरीर में तीन या चार छेद करके यह सर्जरी की जाती है। इसमें सर्जन का सहायक होता है एक दक्ष रोबोटिक हाथ और बेहद प्रभावशाली लेंस वाला कैमरा। यह सटीक और केंद्रीत सर्जरी को संभव बनाता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अतिदक्ष सर्जन का साथ।

सवाल:- रोबोटिक सर्जरी सामान्य सर्जरी से अलग कैसे है।
जवाब:- हालांकि चिकित्सकीय भाषा में सर्जरी को सर्जरी की तरह ही लिया जाता है। वह सर्जन के हाथ से सामान्य हो या तकनीक की मदद से है। इतना है कि रोबोटिक सर्जरी में दर्द नाममात्र का होता है। रक्त स्त्राव भी बेहद कम अथवा ना के बराबर होता है। बड़ी सर्जरी के बाद तीन चार दिन में मरीज चलने फिरने लायक हो जाता है, सामान्य सर्जरी में 24 घंटों की सघन निगरानी के बाद सामान्य दिनचर्या में लौट जाता है।

सवाल:- राजस्थान में रोबोटिक सर्जरी की शुरूआत कब हुई।
जवाब:- नवंबर 2023 में आधिकारिक तौर पर रोबोटिक सर्जरी की शुरूआत हुई। एक वर्ष के समय में मैंने करीब 70 रोबोटिक सर्जरी की है। हालांकि इससे पहले असंख्य लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कर चुका है। रोबोटिक सर्जरी का अनुभव नया जरुर था लेकिन मुश्किल नहीं था। राजस्थान में सबसे पहले लेप्रोस्कोपिक डोनर नेप्रेक्टोमी का ऑपरेशन सबसे पहले राजस्थान में मेरी ओर से किया गया। रोबोटिक रेनेल रेसिपियर की शुरुआत भी सबसे पहले प्रदेश करने में योगदान रहा। सबसे चर्चित आठ वर्ष के बचचे का सफल ऑपरेशन रहा। राजस्थान में सर्वप्रथम एक आठवर्ष के बच्चे का फर्स्ट पेडियाट्रिक रेनल ट्रांसप्लांट करना यादगार अनुभव में से एक है।

सवाल:- अपने चाहने वालों को क्या संदेश देना चाहेंगे।
जवाब:- प्रतिवर्ष हजारों, लाखों की संख्या में कैंसर के मरीजो की तादाद बढ़ रही है। यह स्वास्थ्यय – एवं गुणवत्ता पूर्णजीवन जीने में बाधक है। फिरभी इस से बचने का बहुत ही सामान्य तरीका है, स्वास्थ्यवर्धक जीवनचर्या, नियमित व्यायाम,संयमित आहार और धूम्रपान से परहेज। ऐसे में कहना चाहुंगा की स्वास्थय को ध्यान में रखते हुए सभी लोग इनका पालन करें।

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