राजस्थान विधानसभा चुनाव हो गए है और अब सिर्फ हर किसी का ध्यान सिर्फ रिजल्ट पर ही टीका हुआ है। 11 दिसम्बर को मतगणना होगी और रिजल्ट आपके सामने होगा कि अब विधानसभा में कौनसी सरकार जीत के साथ नजर आएगीं। इस बार चुनाव आयोग ने वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई तरह के नए प्रयोग किए, लेकिन ये काम नहीं आया। वहीं, वोट प्रतिशत कम होने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। जब से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने अपनी अपनी पार्टी के लिए रैलियों और सभाओं का आयोजन किया तो हर किसी ने ये ही कोशिश की कि जनता उन्हें ही सपाॅर्ट करे।
आपको बता दें कि पिछले 33 साल में हुए सात विधानसभा चुनाव का रिकॉर्ड देखें तो जब भी कभी मतदान के प्रतिशत में कम या ज्यादा मतदान होता है तो सत्ता में परिवर्तन हो जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव को ही अगर देखे मोदी लहर की वजह से मतदान प्रतिशत में 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे भाजपा को 200 में से 163 सीटें मिली और कांग्रेस 21 सीटों पर ही सिमट गई।
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पिछले सात चुनाव में भी हुआ ऐसा-
साल 1985 में 2 प्रतिशत बढ़ोतरी से सत्ता परिवर्तन हुआ।
साल 1990 के चुनाव में 2 प्रतिशत वोटों की बढ़ोतरी से सत्ता बदल गई। इस चुनाव में कांग्रेस को 55 सीटें मिली थी।
1993 के चुनाव में 60.59 प्रतिशत मतदान हुआ, इस चुनाव में भाजपा सत्ता में आई ।
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1998 में हुए चुनाव में 3 प्रतिशत वोटों की बढ़ोतरी हुई। इस चुनाव में कांग्रेस को 153 सीटें मिली।
2003 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चली। इस चुनाव में 67.18 प्रतिशत मतदान हुआ और भाजपा ने 120 सीटों के साथ जीत हासिल की।
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2008 के चुनाव में लगभग एक प्रतिशत कम अर्थात 66.49 फीसदी मतदान हुआ। कांग्रेस ने निर्दलियों एवं अन्य के सहयोग से सरकार बनाई।
2013 के चुनाव में मोदी लहर के चलते मतदान में 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। भाजपा ने 163 और कांग्रेस ने मात्र 21 सीटें जीती। भाजपा ने इस दौरान कांग्रेस से बड़ी जीत हासिल की।
2018 में अब भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। इस बार 74 प्रतिशत मतदान हुआ जो कि काफी सहीं बताया जा रहा है। इस बार एक्जिट पोल के माध्यम से तो अभी तक ये ही बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार कांग्रेस को टक्कर नहीं दे पाएंगी और राजस्थान में इस बार कांगे्रेस के आने की ज्यादा चांस नजर आ रहे है।