बहरोड़ विधायक कोटे से खरीदे सामान में भ्रष्ट्राचार की बूं, बलजीत यादव के नजदीकियों पर शक की सुई

बहरोड़ विधायक बलजीत यादव इस बार गंभीर आरोपों में घिरते दिखाई दे रहे है। आरोप शिक्षा और खेल के लिए खरीद सामान में कमीशनखोरी और भ्रष्ट्राचार के है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि विधायक के कोटे से सरकारी स्कूलों के लिए स्पोट्‌र्स सामान की खरीद में भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है। प्रदेश में गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले विधायक पर आरोप भी उनके स्थानीय कांग्रेस के नेताओं ने लगाया है। आरोप सामने आने के बाद भाजपा की स्थानीय ईकाई भी सक्रिय नजर आ रही है। आरोपों के तहत खरीद वाली फर्मों और सामानों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

मंजूरी पहले, फर्म का गठन बाद में

करीब तीन करोड़ रुपए से अधिक के ठेके ऐसी फर्मों को दिए गए, जो हाथों-हाथ या कुछ समय पहले ही रजिस्टर्ड कराई गई थीं। जिन फर्मों से सामान खरीद बताया गया है, उनमें से किसी ने भी जीएसटी जमा नहीं कराया है। जिनके नाम से फर्म रजिस्टर्ड हैं, वे विधायक के नजदीकी हैं। इनमें से दो फर्में तो सरकार की ओर से वित्तीय मंजूरी जारी किए जाने के बाद रजिस्टर्ड कराई गईं। फर्मों का ऐसे काम से कोई लेना देना नहीं है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया कि ग्राउंड पर जाकर देखा तो फर्म का जहां ऑफिस बताया गया है, वहां पर निवास पाया और खेल के नाम का बोर्ड तक नहीं मिला।जिन चार फर्मों को ठेका दिया, उनमें से किसी ने भी जीएसटी जमा नहीं कराया है।

विधायक की अनुशंषा पर खरीद

विधायक द्वारा एक बार 19 स्कूलों को 9-9 लाख रुपए की सिफारिश की गई। राज्य सरकार की ओर से इसकी वित्तीय स्वीकृति 16 फरवरी 2022 को जारी की गई। वित्तीय स्वीकृति के बाद ‘शर्मा स्पोट्‌र्स’ नाम की फर्म का 6 जून 22 को रजिस्ट्रेशन हुआ। इन 19 स्कूलों का टेंडर 18 जुलाई को इसी कंपनी को दे दिया गया।

टेंडर की यह राशि लगभग एक करोड़ 71 लाख रुपए है। जिस शर्मा स्पोट्‌र्स को सबसे बड़ा ठेका मिला, उसका मालिक नवीन कुमार है। वह जयपुर में विधायक के शोरूम में काम करता है। कंपनी के रजिस्ट्रेशन में जो पता दिया गया है, वहां निवास स्थान मिला। खेल का बिजनेस होने की भी किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिली।अन्य तीन कंपनियों ने भी खेल का कोई बिजनेस नहीं किया।

विधायक पर परिचितों को ठेका देने का आरोप

अकलीमपुर के लिए 8 लाख रुपए की अनुशंसा की गई। इसकी स्वीकृति 5 मई 2021 को जारी की गई। ठेका ‘बालाजी कंप्लीट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड’ को दिया गया, जिसका रजिस्ट्रेशन 17 मई को हुआ। बीरनवास, कायसा, काठूवास और डूमडोली को 9-9 लाख रुपए की स्वीकृति 5 अगस्त 2021 को जारी की गई। ठेका देने के लिए एक से अधिक फर्मों का होना आवश्यक है, इसलिए 28 सितंबर 21 को ‘सूर्या स्पोट्‌र्स फर्म’ का रजिस्ट्रेशन करवाया गया और ठेका 3 दिसंबर को ‘बालाजी कंपलीट सॉल्यूशन प्रा.लि.’ को दे दिया।

रायसराना, माजरीकलां महतावास, गिगलाना, तलवाना रोडवाल, रैवाना, खूंदरोठ स्कूल को 9-9 लाख की अनुशंसा के बाद वित्तीय स्वीकृति 10 सितंबर 2021 को मिली। इनमें से 5 स्कूलों (रायसराना, माजरीकलां, महतावास, गिगलाना, तलवाना) का टेंडर लगाया। इसमें 3 फर्म (बालाजी, सूर्या, राजपूत) शामिल हुईं। इसमें 4 जनवरी 22 को बैट का टेंडर सूर्या को और बाकी बालाजी को दिया गया।

रोडवाल, रैवाना, खूंदरोठ का टेंडर अलग से लगाया गया। उसमें भी ये तीनों फर्म ही शामिल हुईं। इसमें सारे सामान का टेंडर 18 जनवरी 22 को राजपूत फर्म को दे दिया गया, जिसका रजिस्ट्रेशन 9 अक्टूबर 2021 को हुआ।

फर्मों का पैसा दो दिन में ट्रांसफर

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य संजय यादव ने कहा कि मुझे इस मामले की जानकारी मिली तो मैंने एसीबी जयपुर व लोकायुक्त को पूरी जानकारी दी। इसकी उच्च स्तरीय जांच के लिए सरकार से भी बात कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सामान की गुणवत्ता के साथ ही उन फर्मों की जांच जरूरी है, जिनसे सामान खरीदा गया है। क्योंकि ये सभी फर्म विधायक के मिलने वालों की हैं और इनमें से कोई भी व्यक्ति स्पोट्‌र्स गुड्स संबंधी बिजनेस नहीं करता है। उनका आरोप है कि सरकार की ओर से फर्म को भुगतान के बाद वह राशि विधायक के रिश्तेदारों के खातों में भेज दी गई है। इसका प्रमाण बैंक खातों की जांच होने पर मिल जाएगा। वहीं भाजपा नेत्री डॉ शानू यादव का कहना है कि यह लूट नौनिहालों से है। हम एक दशक से जिन बच्चों के लिए संतोष देवी चेरिटेबल ट्रस्ट के जरिए काम कर रहे, उन बहरोड के बच्चों के लिए सरकार की ओर से दिया गया पैसा यहां के जनप्रतिनिधि की शह पर गबन कर लिया गया , यह नैतिक रूप से गंभीर है। विधायक सार्वजनिक तौर पर भ्रष्ट्राचारी को पकड़वाने पर ईनाम देने की घोषणा करते है वो अब घर में ही जो खेल हो रहा है उसपर क्या कहेंगे यह देखने वाली बात होगी। बहरोड़ की जनता ऐसे लोगों को सबक सिखाएगीं।

अलवर ब्यूरो से राकेश शर्मा की रिपोर्ट।

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