राजस्थान एसीबी की कार्रवाई के आंकड़े प्रतिवर्ष बढ़ रहे हैं। ऐसा कोई विभाग नहीं है जहां पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एक्शन नहीं लिया हो। लेकिन कार्रवाई के बाद भी अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से भ्रष्ट अधिकारी बच रहे थे। अब रंगे हाथ रिश्वत लेने के बाद भी अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से बचने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की खैर नहीं होगी।
विभाग नहीं विशेष कमेटी करेगी फैसला
संबंधित विभाग के मुखिया अपने स्तर पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भ्रष्ट अधिकारी और कार्मिकों की अभियोजन स्वीकृति नहीं देते थे। इस मामले में राजस्थान सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। विशेष कमेटी बनाई गई है ताकि अभियोजन स्वीकृति का फैसला तुरंत हो।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठन
राज्य सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति नहीं देने से पहले इसकी मंजूरी विशेष अधिकारियों से लेने का प्रावधान किया है। मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में विशेष कमेटी का गठन किया गया है। जिसमें गृह सचिव और कार्मिक सचिव सदस्य होंगे। भ्रष्टाचार में लिप्त संबंधित अधिकारियों और कार्मिकों को विभागीय क्लीन चिट लेने से पहले इस कमेटी से भी क्लीन चिट लेनी होगी। कमेटी से क्लीन चिट मिलने के बाद विभागाध्यक्ष संबंधित अधिकारी और कर्मचारी की अभियोजन स्वीकृति नहीं देने का निर्णय ले सकेंगे।
भ्रष्टाचार पर अंकुश की कवायद
गौरतलब है कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के कई विधायक भ्रष्टाचार के मामले पर कार्यवाही नहीं होने पर अपनी नाराजगी दर्ज करवा चुके हैं। अब सरकार भ्रष्टाचार पर किसी भी तरह टोलरेंस नहीं करेगी। इसी मकसद से इस कमेटी का गठन किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है की अभियोजन स्वीकृति मिलने से सरकारी कार्मिकों में डर होगा और भ्रष्ट आचरण में कमी आएगी।